मुख्यपृष्ठस्तंभतड़का : दिल्ली : वादे पूरे होंगे?

तड़का : दिल्ली : वादे पूरे होंगे?

कविता श्रीवास्तव
देश की राजधानी नई दिल्ली में विधानसभा चुनाव का मतदान बुधवार को शाम खत्म हुआ। मतदान में कई जगह गड़बड़ी के आरोप-प्रत्यारोप भी लगे हैं। कुछ बवाल भी मचा। फर्जी मतदान की आशंकाएं भी व्यक्त की गर्इं, लेकिन दिल्ली का मूड अब वोटिंग मशीन में दर्ज हो चुका है। बस चुनाव के परिणामों का इंतजार है। अब तो वोटिंग मशीन से निकले परिणाम के बाद ही चर्चाएं गर्म होंगी। इस चुनाव में इतने लोकलुभावन वादे हुए हैं कि लोग भी बहुत आतुर हैं। दिल्ली देश की राजधानी है और भाजपा वहां सत्ता में रही भी है। लंबे अर्से से वह सत्ता में वापसी करना चाहती है। इसलिए यह चुनाव उसकी प्रतिष्ठा का प्रश्न भी है। वैसे चुनावों में तरह-तरह के दांव-पेंच और उथल-पुथल होते हम देखते हैं, लेकिन इस चुनाव में भाजपा ने ज्यादा ही जोर लगाया। चुनाव प्रचार के अंतिम समय तक खुद प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, अन्य केंद्रीय मंत्री व वरिष्ठ नेता अलग-अलग जगहों पर डटे हुए थे। दूसरी ओर आम आदमी पार्टी भी जमकर मुकाबले पर डटी रही। दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की छवि भाजपा पर भारी पड़ती रही है। हालांकि, कांग्रेस भी चुनावी रण में उतरी हुई है। उसने भी जोर लगाया है। किंतु दिल्ली विधानसभा में इस बार भी सत्तारूढ़ `आप’ और भाजपा के बीच ही तगड़ी लड़ाई दिख रही है। २०२० के चुनाव में `आप’ ने ५४ फीसदी वोट लेकर ६२ सीटें जीतीं थीं और सत्ता बनाई थी, जबकि भाजपा को ३८ फीसदी वोट और केवल आठ सीटें मिलीं थीं तथा कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला था। इस बार भाजपा की छटपटाहट अधिक है क्योंकि केंद्र में तीसरी बार सत्ता पाने और अनेक राज्यों में सरकार बनाने के बावजूद वह पिछले २६ वर्षों से दिल्ली में सत्ता से बाहर है। दिल्ली में भाजपा को कांग्रेस ने ही सत्ता से बाहर किया था। उसके बाद कांग्रेस सत्ता से बाहर हुई और अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में `आप’ सरकार बनाती रही है। दिल्ली सरकार के बीते कार्यकाल में सत्ताधारी `आप’ के नेताओं पर घोटालों के आरोप लगाकर उन्हें लंबे समय तक सलाखों के पीछे रखा गया। यहां तक कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को भी जेल में डाला गया। शराब घोटाले और मुख्यमंत्री आवास बनाने को भाजपा ने सबसे प्रमुख मुद्दा बनाया। लेकिन सभी बाधाओं को पार करते हुए आम आदमी पार्टी ने यह सिद्ध किया है कि वह कमजोर पड़ने वाली नहीं है। कांग्रेस ने भी `आप’ पर लगातार राजनीतिक हमले किए हैं। उसे लगता है कि भाजपा के आरोपों से यदि अरविंद केजरीवाल की पार्टी के वोट खिसके तो वे सीधे उसकी झोली में आएंगे। इससे वह दिल्ली में अपनी खोई हुई राजनीतिक जमीन वापस पा लेगी। इस चुनाव में लुभावने वादों का पिटारा भी सभी ने खोला। मुफ्त इलाज, मुफ्त बिजली, महिलाओं के खाते में पैसे आदि का सभी दलों ने वादा किया है। अब तो बस कोई सरकार ही बनेगी। वह कितने वादे पूरे करेगी यह देखना दिलचस्प होगा।

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