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तड़का : सही धरपकड़ हो…

कविता श्रीवास्तव
निर्वाचन आयोग के अधिकारियों ने शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के पक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे के हेलिकॉप्टर की दो बार तलाशी ली। यह निर्वाचन आयोग का काम है इसीलिए उद्धव ठाकरे ने अपने हेलिकॉप्टर की तलाशी करवाई। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अन्य बड़े नेताओं की तलाशी भी होनी चाहिए। तलाशी हो तो सबकी हो। उनकी यह बात भले कुछ लोगों को पसंद न आई हो, लेकिन यह खरी-खरी बात है कि तलाशी अगर होती है तो सभी नेताओं की होनी चाहिए। वह किस दर्जे का नेता है यह नहीं देखा जाना चाहिए। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि निर्वाचन आयोग की तलाशी उस स्तर पर कितनी हो रही है, जहां चुनावी लाभ के लिए वाकई वस्तुएं और पैसे बांटे जाने की आशंकाएं हैं। चुनाव में इस तरह के वितरण प्रतिबंधित हैं। यह आचार संहिता का उल्लंघन है। हाल ही में वर्ली में एक नेता द्वारा बर्तन बांटे जाने की शिकायत चर्चा में आई। उस पर निर्वाचन आयोग ने क्या कार्रवाई की यह भी सबके समक्ष स्पष्ट होना चाहिए। क्या चुनाव में वाकई रुपए के लेन-देन अथवा वितरण किए जाने आदि पर रोक लग पाई है? अक्सर विभिन्न बड़ी पार्टियों के लिए काम करनेवाले कार्यकर्ता चुनाव में इस बात से खुश दिखाई देते हैं कि उन्हें कुछ दिन चुनाव प्रचार का काम मिलेगा और कुछ खर्चा-पानी मिल जाएगा। नेताओं के लिए गली-गली पर्चा बांटने, झंडे लेकर नारे लगाने, उनके आगे पीछे मंडराने के लिए भी कार्यकर्ताओं की जरूरत पड़ती है। चुनाव प्रचार के कार्यालयों में तथा उम्मीदवारों के प्रचार बूथों पर बैठने के लिए भी कार्यकर्ताओं की आवश्यकता पड़ती है। यह सच है कि कई लोग निष्ठावान और पार्टी से जुड़े हुए सच्चे कार्यकर्ता होते हैं और वे कोई पारिश्रमिक नहीं लेते हैं, लेकिन यह भी सच है कि ढेर सारे लोगों को पैसे देकर काम पर रखा जाता है। कहा तो यह भी जाता है कि विभिन्न गली-मोहल्ले में लोगों को अपनी ओर मोड़ने के लिए भी उन्हें तरह-तरह के प्रलोभन दिए जाते हैं। इलाकों में अच्छी प्रतिष्ठा रखनेवाले या अच्छी पकड़ रखनेवाले लोगों को चुनाव में अपनी तरफ करने के लिए भी प्रलोभन दिए जाते हैं। कार्यकर्ताओं के खाने-पीने का इंतजाम भी करना पड़ता है। ऐसी सारी गतिविधियों पर निर्वाचन आयोग के अधिकारियों की नजर रहती है। समझा तो यही जाता है कि जहां-जहां ऐसा होता है वहां कार्रवाई होती है, लेकिन इन दिनों जिस तरह से बड़े नेताओं के हेलिकॉप्टरों की जांच की जा रही है वह साधारण जांच से कहीं ज्यादा दिखावा-सा भी लगता है। शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) पक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे के हेलिकॉप्टर की तलाशी का वीडियो वायरल होने के बाद अब नितिन गडकरी, देवेंद्र फडणवीस और एकनाथ शिंदे के हेलिकॉप्टरों की तलाशी के वीडियो भी वायरल हुए हैं। लोगों का यह कहना भी सही है कि इन बड़े नेताओं के हेलिकॉप्टरों की तलाशी से ज्यादा वह धरपकड़ महत्वपूर्ण है, जहां वाकई चुनावों को प्रभावित करने के लिए लोगों को प्रलोभन दिए जाते हैं और बड़े पैमाने पर पैसे का वितरण होता है।

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