मुख्यपृष्ठस्तंभतड़का : `आग लगे ऐसे रुपय्या को'

तड़का : `आग लगे ऐसे रुपय्या को’

कविता श्रीवास्तव
रुपय्या को लेकर फिर चर्चा है। इस बार एक जज साहब के घर से खूब रुपय्या मिला है। कितना, यह किसी ने नहीं बताया! दिल्ली हाई कोर्ट के जज साहब होली पर घर में नहीं थे। घर में आग लग गई। आग बुझाने पहुंचे लोग सामान बचाने लगे तो रुपए का भंडार मिल गया। अब जांच हो रही है। दरअसल, सवाल रुपए का नहीं, अवैध कमाई का है। यह विषय बार-बार उठता रहा है कि जिससे न्याय की उम्मीद की जाती है, यदि वही आरोपों में घिर जाए तो न्याय कहां मिलेगा? न्यायिक प्रक्रिया की विलंबताएं, जटिलताएं तो अपनी जगह हैं, न्यायाधीश की भूमिका यदि संदेह में आती है तो न्याय मिलने की उम्मीद भी लड़खड़ाने लगती है। यह हवाई बात नहीं है। न्यायाधीश के निष्पक्ष और गरिमामय पद पर बैठे कई न्यायाधीश अपने आचरण, अपने व्यवहार और अपनी भूमिका को लेकर कई बार विवादों में रहे हैं। इसके अलावा भ्रष्टाचार में लिप्त पाए जाने पर भी कई न्यायाधीश कार्रवाई के घेरे में आए हैं। होली के दिन दिल्ली हाई कोर्ट के जज के घर भारी मात्रा में वैâश मिलने की जांच का काम भी न्यायाधीश कर रहे हैं। पैâसला भी उन्हें ही लेना है। न्यायाधीशों की नियुक्ति भी देश के शीर्ष न्यायाधीशों के कॉलेजियम सिस्टम से होती है। इस प्रणाली को खत्म करने के लिए सरकार और सरकार के विधि विभाग ने बहुत प्रयत्न किया और न्यायाधीशों की नियुक्ति में सरकार की भूमिका भी तैयार की गई। लेकिन न्यायाधीशों के तगड़े विरोध के बाद ऐसा नहीं हो पाया। न्यायाधीश बहुत संवेदनशील, जिम्मेदारीभरा और विवादों से दूर रहने वाला पद समझा जाता है। न्यायाधीश को लोग भगवान का दर्जा देते हैं। उनकी नियुक्ति न्यायाधीशों के ही पैनल द्वारा होती है। इसमें आम जनता द्वारा चुनी गई सरकार की कोई भूमिका नहीं होने से न्यायाधीशों पर मनमानी के आरोप भी लगाए जाते रहे हैं, जबकि न्यायाधीशों की दलील है कि न्यायाधीशों की नियुक्ति निष्पक्ष होनी चाहिए। इसमें सरकार का दखल नहीं होना चाहिए। इसका दूसरा पक्ष यह है कि न्यायाधीशों की अपनी मनमानी को कौन रोकेगा? न्यायाधीशों पर जब आरोप लगते हैं तो देश के न्यायजगत पर संदेह उभरना स्वाभाविक ही है। जनता को सही न्याय पूरी निष्पक्षता और ईमानदारी से मिले इसके लिए बेहद निष्पक्ष, ईमानदार और विधि को समर्पित न्यायाधीशों की जरूरत है। यदि किसी न्यायाधीश की भूमिका या उसके आचरण को लेकर शंका होती है या फिर कोई न्यायाधीश भ्रष्टाचार के संदेश में आता है या किसी के घर में आय से अधिक या अघोषित संपत्ति मिलती है तो यह सब जांच का विषय है। इससे कहीं न कहीं देश की न्यायिक प्रणाली पर दाग तो लगते हैं। न्यायाधीश के घर इतने पैसे मिलने की बात जब हमने ८२ वर्षीय बूढ़ी माताजी को बताया तो उन्होंने कहा, `क्या होगा है ऐसे पैसे से। आग लगे ऐसे रुपय्या को जो हमारी नीयत बिगाड़ दे। रुपया ईमानदारी और इज्जत से बड़ा नहीं होता।’

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