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तड़का: पूत की करतूत

कविता श्रीवास्तव

पुणे के पोर्शे कार `रैश ड्राइविंग’ मामले में एक नाबालिग की गलती ने अनेक लोगों को सलाखों के पीछे कर दिया है। वह खुद गिरफ्तार है। उसके माता-पिता, दादा भी जेल पहुंच गए हैं। धन-दौलत, रसूख सब धरा रह गया है और कानून अपना काम कर रहा है। मामले को दबाने की साजिश भी खुल कर सामने आ गई है। शराब पीकर तेज गति से गाड़ी चलाने और दो लोगों की जान लेने का उस पर आरोप है। इस मामले में अनेक लोग जांच के घेरे में आए हैं। सबसे पहले तो वह गाड़ी ही रजिस्टर नहीं थी, जो वो चला रहा था इसलिए गाड़ी बेचने वालों की जांच हो रही है। तेज गति से गाड़ी चलाने के पहले वह लड़का `बार’ में बैठकर शराब पी रहा था। उसे शराब परोसने के मामले में होटल मालिक और बैरे से लेकर अन्य की भी गिरफ्तारी हुई है। आरोपी का ब्लड सैंपल बदलने और गलत रिपोर्ट देने के मामले में अस्पताल के डॉक्टर, वॉर्ड ब्वाय से लेकर अन्य भी गिरफ्तार हैं। नाबालिग को कार चलाने देने के आरोप में उसके दादा और पिता को पुलिस ने दबोचा है। अपने बेटे को बचाने के लिए उसका ब्लड सैंपल बदलने के लिए उसकी मां भी पुलिस की गिरफ्त में आ गई है। एक बेटे की यह करतूत कितने लोगों को भारी पड़ी है, इसका इस मामले से अंदाजा लगाया जा सकता है। वह बेटा रईसजादा है। खबरों के मुताबिक, उसके परिवार के ऊंचे राजनीतिक संबंध हैं। संभवत: इसीलिए शुरू में वह छूट भी गया था, लेकिन भारी जनाक्रोश के बाद पुलिस ने सख्ती दिखाई। अब जांच का दायरा और भी बढ़ता जा रहा है। इस पर राजनीतिक विवाद भी जारी है। साधारण तरीके से देखा जाए तो आजकल के बच्चों को खुली छूट देने, उन्हें नियम-कानून और सामाजिक सरोकारों की जानकारी नहीं देने व उन पर नजर नहीं रखने का कितना बुरा परिणाम हो सकता है यह इस मामले से साफ नजर आता है। एक लड़के की गलती की वजह से दो बेकसूर लोगों की जानें चली गर्इं। उनके घर में मातम छा गया। दूसरी ओर खुद के साथ आरोपी के दादा, पिता और मां को भी सलाखों के पीछे जाना पड़ा है। यह मामला कानूनी प्रक्रिया में है और लंबा खिंच सकता है। इसका न्यायिक परिणाम चाहे जो भी आए, लेकिन यह आम नागरिकों को तगड़ा सबक देता है कि हम अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा और तमाम सुख-सुविधाएं देने के साथ ही उन पर अपना नियंत्रण भी रखें। उन्हें गैरकानूनी काम करने से रोकें। उन्हें नियमों के अनुसार और सामाजिक दायरे में रहने की सीख दें। वरना वे स्वयं को ही नहीं, बल्कि हमें भी संकट में डाल सकते हैं।
तभी तो कबीर जी ने लिखा है…
पूत पियारो पिता कौ, गौहनी लागो धाई।
लोभ मिठाई हाथ दे, आपन गयो भुलाई।।

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