मुख्यपृष्ठस्तंभतड़का : स्वयं अनुशासित महाकुंभ

तड़का : स्वयं अनुशासित महाकुंभ

 

कविता श्रीवास्तव
जब हम कोई काम करने में असमर्थ हो जाते हैं तो हाथ जोड़ लेते हैं और माफी मांगते हैं। इस समय प्रयागराज व उसके आसपास के जिलों में प्रशासनिक अधिकारियों की यही मजबूरी हुई है। हर तरफ हाथ जोड़कर लोगों को समझाया जा रहा है कि अपना वाहन लौटा लें। प्रयागराज में हर तरफ जाम है। ३०० किलोमीटर पहले ही वाहनों का कारवां रोकने की नौबत आई है। मध्य प्रदेश के कटनी से लेकर प्रयागराज जिले के चारों ओर कौशांबी, प्रतापगढ़, वाराणसी, जौनपुर, मिर्जापुर और चित्रकूट से ही वाहनों को वापस लौटने की हिदायत देनी पड़ी है। सड़कों पर भारी जाम है। ट्रेन सेवाएं अपर्याप्त हैं। सड़कें दम तोड़ रही हैं। लोग घंटों पैदल चलने को मजबूर हैं। व्यवस्थाएं बौनी पड़ गई हैं। बुजुर्ग, बच्चे और महिलाएं सबसे ज्यादा परेशान हैं। फिर भी महाकुंभ में श्रद्धा, आस्था और उमंग चरम पर है। लोग स्वयं अनुशासित होकर स्नान कर रहे हैं। श्रद्धालुओं से भरे प्रयागराज के संगम तीर्थ पर तिल भर भी जगह नहीं बची है। हर कदम पर आदमी ही आदमी हैं। सड़कों पर लोग ‘रोड अरेस्ट’ से हैं। न आगे जा सकते हैं, न पीछे। परसों मैं भी संगम तट पर थी। उसी भीड़ में। मैंने देखा कि किस तरह देश और दुनिया से पधारे हुए लाखों-करोड़ों श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ता ही जा रहा है। मैं आठ किलोमीटर पैदल चलती रही तब जाकर ‘संगम नोज’ तक पहुंची। वहां डुबकी लगाने का अद्भुत अनुभव होता ही है। पहले भी मैं यहां कुंभ में आती रही हूं। यह पहली बार है जब भारी संख्या में लोग संगम में डुबकी लगाने को बेताब हैं। सोशल मीडिया ने महाकुंभ के प्रति आकर्षण और रोचकता बहुत बढ़ा दी है। इससे महाकुंभ पर्यटन सा भी बन गया है। साधु-संतों की अजीब हरकतें देखने, अपना पाप धुलने, पुण्य कमाने आदि की चर्चाएं करते लोग भी बहुत मिले। भीड़ की अधिकता के कारण संगम स्थल की बजाय कहीं भी डुबकी लगाने की मजबूरी हुई है। संगम की तरफ बढ़ता मानव महासागर स्वयं अनुशासित दिखा। यह हमारी सनातन संस्कृति की एकता का सबसे बड़ा प्रमाण है। वैसे भी नासिक, हरिद्वार और उज्जैन के मुकाबले प्रयागराज के कुंभ में बहुत ज्यादा श्रद्धालु पहुंचते हैं, पर इस बार ऐसा प्रचार हुआ कि असंख्य लोग निकल पड़े और वाकई व्यवस्थाएं कुछ बौनी पड़ गई हैं। फिर भी करोड़ों लोग संगम पर पहुंचकर डुबकी लगाने की अपनी इच्छा पूरी कर रहे हैं। कुंभ सदियों से होता रहा है और लोग इसी तरह पहुंचते रहे हैं। व्यवस्थाएं हर बार अच्छी ही होती हैं, पर भीड़ के आगे वह हमेशा कम पड़ ही जाती हैं। श्रद्धालुओं का जोश आगे भी ऐसा ही रहेगा और व्यवस्थाएं कभी पूरी नहीं हो पाएंगी। कुंभ हमेशा चलता रहेगा। इस बार १४४ वर्ष बाद महाकुंभ आने की चर्चा से लोग जोश में आए हैं। तमाम बड़े सेलिब्रिटीज भी डुबकी लगाने प्रयागराज पहुंचे। विशेष लोगों के लिए विशेष इंतजाम किए गए। उनके लिए प्रशासनिक व्यवस्थाएं चुपचाप चलती रहीं। आम आदमी अपनी व्यवस्था से किसी तरह वहां पहुंचकर डुबकी लगाकर खुद को संतुष्ट कर रहा है। वह व्यवस्था का इंतजार नहीं करता।

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