वखान कॉरिडोर कब्जाने की पाकिस्तान कर रहा है नाकाम कोशिश
सामना संवाददाता / नई दिल्ली
अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच युद्ध छिड़ गया है, बस घोषणा होनी बाकी है। पाकिस्तान ने गत महीने के आखिरी सप्ताह में अफगानिस्तान के भीतर हवाई हमला किया था, जिसमें कुछ अफगानी मारे गए थे। तालिबान ने इसका भयानक बदला लिया और सीमा पर पाकिस्तानी सैनिकों की लाशें बिछा दी हैं। खबरों में बताया गया है कि तालिबान ने पाकिस्तान के ४६ सैनिकों को मार गिराया है, जिसमें एक मेजर भी शामिल है। इससे पाकिस्तान बौखला गया है। पाकिस्तान के बौखलाहट की प्रमुख वजह यह है कि उसने ही ८० के दशक में तालिबान को रूस के खिलाफ पैदा किया और पाला-पोसा था। तीन साल पहले जब तालिबान ने अमेरिका को भगाकर काबुल पर कब्जा किया तो सबसे ज्यादा खुशी पाकिस्तान ने ही मनाई थी। ताजी खबरों के अनुसार, तालिबान और पाकिस्तान के बीच टकराव अफगानिस्तान के पूर्वी खोस्त और पकटिका प्रांतों में हो रहा है, जो पाकिस्तान की सीमा से सटे हैं। खबर है कि पाकिस्तानी सेना तालिबानी हमले के बाद कई पोस्ट छोड़कर भाग गई है।
आतंकी हमलों में ५६ फीसदी ज्यादा मौतें
इस्लामाबाद स्थित सेंटर फॉर रिसर्च एंड सिक्योरिटी स्टडीज की एक रिपोर्ट में पाकिस्तान में २०२३ में आतंकवादी हमलों से मरने वालों की संख्या में २०२२ की तुलना में ५६ फीसदी बढ़ गई, जिसमें १,५०० से ज्यादा लोग मारे गए, जिनमें ५०० सुरक्षाकर्मी शामिल थे।
‘चिकन नेक’ पर हो सकती है भीषण लड़ाई
वखान क्षेत्र में स्थित अफगानिस्तान के ‘चिकन नेक’ पर पाकिस्तान की नजर है। यह क्षेत्र काफी महत्वपूर्ण है। तजाकिस्तान, चीन, पीओके और पाकिस्तान से इसकी सीमाएं लगती हैं। चीन के लिए यह काफी महत्व रखता है क्योंकि वह इसके सहारे अफगानिस्तान तक सीधे पहुंचता है। इसके जरिए वह सीपेक का विकल्प भी तलाश कर सकता है। खबर है कि चीन बड़ी संख्या में अफगानिस्तान में निवेश कर रहा है। इस बात को पाकिस्तान समझ रहा है। अगर चीन की योजना परवान चढ़ती है तो उसके लिए पाकिस्तान की जरूरत नहीं रहेगी। इसीलिए जनरल असीम मुनीर वैश्विक शक्तियों का समर्थन पाने के लिए बेताब हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, जनरल मुनीर ने हाल में ही डीजी आईएसआई असीम मलिक को तजाकिस्तान भेजा था। तालिबान के बहाने चीन इस क्षेत्र में लड़ाई छेड़कर वखान कॉरिडोर पर कब्जे का ख्वाब देख रहा है।
कई पाकिस्तानी चौकियों पर कब्जा
स्थानीय मीडिया के हवाले से मिली खबर के अनुसार, अफगान बलों ने खोस्त प्रांत के अली शिर जिले में कई पाकिस्तानी सैन्य चौकियों को आग लगा दी है।
पाकिस्तान का आरोप
पाकिस्तान लगातार आरोप लगाता रहा है कि अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता संभालने के बाद पाकिस्तान में आतंकी हमले बढ़ गए हैं। पाकिस्तान सरकार का मानना है इस वजह से टीटीपी को मजबूती मिली है। टीटीपी पाकिस्तान में एक इस्लामी अमीरात स्थापित करना चाहता है, जैसे उसके साथी संगठन ने काबुल में किया है।
मध्य एशिया तक सीधी पहुंच
वखान कॉरिडोर रणनीतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण है। इस पर कब्जे से पाकिस्तान सीधे हिंदुस्थान के ऊपर बैठ जाएगा। इसके अलावा पाकिस्तान की पहुंच सीधे मध्य एशियाई देशों तक हो जाएगी, वो भी अफगानिस्तान को बाइपास करके। ऐसे में पाकिस्तान यूरोप तक अपने माल को आसानी से पहुंचा सकेगा। इसके लिए उसे समुद्र में लंबा चक्कर भी नहीं लगाना पड़ेगा। इसके अलावा वह चीन को अपनी जरूरत दिखा सकता है।
बॉर्डर पर भेजे गए
१५ हजार तालिबान लड़ाके
पाकिस्तान ने तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के आतंकी शिविर को नष्ट करने और विद्रोहियों को मारने के लिए उसने यह अभियान चलाया था। अफगान तालिबान ने पाकिस्तान के हमले को बर्बर कृत्य बताते हुए कहा था कि वह इसका बदला लेगा। पाकिस्तान पर जवाबी हमले के लिए अफगानिस्तान ने १५ हजार लड़ाके भेजे हैं। अफगानिस्तान के रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि उसके बलों ने पाकिस्तानी ठिकानों को निशाना बनाया जो दुर्भावनापूर्ण तत्वों और उनके समर्थकों के छिपने की जगह के रूप में काम करते थे। इन स्थानों से अफगानिस्तान में हमलों का आयोजन और समन्वय किया जाता था। मंत्रालय के प्रवक्ता इनायतुल्लाह ख्वारजामी ने हमलों के बारे में कोई और जानकारी नहीं दी। खबरों में कहा गया है कि खोस्त प्रांत में लोगों ने अफगानिस्तान की जवाबी कार्रवाई का जश्न मनाया। हजारों लोग खुशियां मनाने और अफगान सेना के प्रति समर्थन व्यक्त करने के लिए अपने घरों से निकल आए।