बात से बनती बात

बात-बात में बात बनती है।
बात-बात में बात बिगड़ती है।
चलो हम बात-बात में बात बनाएं।
जीवन में हरियाली लाएं।
थोड़ा हंसें थोड़ा मुस्कुराएं।
गाएं बजाएं हाथ मिलाएं।
मौका लगे तो दिल भी मिलाएं।
और आगे बढ़ जाएं
वहां जहां समुद्र है सुख का।
खूब डूबें नहाएं।
आजादी का गीत गाएं आजाद हो जाएं।
जंजीर तोड़कर गुलामी की।
एक नई फसल उगाएं जो लहलहाती रहे
आजीवन, अनवरत, अविकल, अर्थवान बनकर।।
-अन्वेषी

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