मुख्यपृष्ठस्तंभझांकी : तंत्र-मंत्र और मंत्री

झांकी : तंत्र-मंत्र और मंत्री

अजय भट्टाचार्य

लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री बने नरेंद्र मोदी की राजग सरकार मंत्रिमंडल में शामिल होने के लिए कई सांसद और नेता ऐसे थे जो मंत्री बनने के लिए तंत्र-मंत्र की शरण में थे। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, मोदी ३.० मंत्रिमंडल में शामिल होने के लिए ४ राज्यों के ३० से अधिक सांसदों ने अनुष्ठान किया। इसमें बिहार के सबसे अधिक नेता शामिल हैं, जो मंत्री बनने की इच्छा के चलते तंत्र-मंत्र और अनुष्ठान करवा रहे थे। बताया गया है कि इसमें ऐसे सांसदों की संख्या अधिक थीं, जिनके परिवार के लोग पहले मंत्री रह चुके हैं। बिहार के १२, उ.प्र. के ६, राजस्थान के ४ और महाराष्ट्र के ६ सांसद ऐसे थे, जो ऑनलाइन और ऑफलाइन अनुष्ठान करवा रहे थे, जिससे उन्हें मंत्री पद मिल जाए। अधिकतर सांसदों ने आकर्षण तंत्र करवाया, जिससे वह बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार और नरेंद्र मोदी को प्रभावित कर सकें। इस विधि के जरिए सांसद चाहते थे कि नीतिश और मोदी के मन में उनका नाम आ जाए और उन्हीं के नाम पर मुहर लग जाए। कहा तो यह भी जा रहा है कि आकर्षण की जगह विकर्षण तंत्र का भी इस्तेमाल किया गया। विकर्षण तंत्र के जरिए सांसद का काम बिगाड़ने वाले नेताओं को दूर करने की कोशिश की जा रही थी। कुछ सांसद सिर्फ नीतिश कुमार और नरेंद्र मोदी को खुश करने के लिए अनुष्ठान करवा रहे थे, जिससे दोनों की नजरों में उनका नंबर बढ़ जाए और वे मंत्री बन सकें।

छह मुख्यमंत्री भी केंद्र में मंत्री
औपचारिक और आधिकारिक रूप से केंद्र में सत्तारूढ़ हुई राजग सरकार में मंत्री बननेवालों में छह पूर्व मुख्यमंत्री शामिल हैं, जिनमें चार भाजपा के हैं और दो अन्य सहयोगी दलों के। शपथ लेनेवाले भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्रियों में राजनाथ सिंह, मनोहर लाल खट्टर, शिवराज सिंह चौहान और सर्बानंद सोनोवाल शामिल हैं, जो क्रमश: उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश और असम के मुख्यमंत्री रहे हैं। २००० से २००२ तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे राजनाथ सिंह पिछली मोदी वैâबिनेट में रक्षा मंत्री थे। खट्टर ने इस साल मार्च में मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। सहयोगियों में, कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और जेडी (एस) नेता एचडी कुमारस्वामी और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा प्रमुख जीतन राम मांझी ने शपथ ली है। यह अलग बात है कि भाजपा की टिकट पर सांसद बने कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस बोम्मई और जगदीश शेट्टार, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे, त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री बिप्लब दास और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत मंत्री पद की रेस में पिछड़ गए।
कांग्रेस में जान, भाजपा में घमासान
हाल ही में हुए चुनाव नतीजों ने गुजरात कांग्रेस में नई जान पंâूक दी है। कभी वीरान रहनेवाले पालदी स्थित गुजरात प्रदेश कांग्रेस कमेटी के दफ्तर में अब चहल-पहल और उत्साह है। पार्टी कार्यकर्ता चुनाव नतीजों पर चर्चा करते हुए दिखाई दे रहे हैं। जब कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने दूसरे दिन लाइव प्रेस कॉन्प्रâेंस की तो कार्यकर्ता अपने टीवी और मोबाइल फोन से चिपके हुए थे, उनके चेहरों पर उत्साह साफ झलक रहा था। दफ्तर में किसी की तलाश कर रहे एक आगंतुक ने इसका प्रत्यक्षदर्शी रूप से अनुभव किया। दूसरी तरफ भाजपा कार्यकर्ता लोकसभा चुनाव नतीजों के पीछे के कारणों को जानने के लिए ‘शोध यात्रा’ पर हैं। वातानुकूलित कक्षों में पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच ‘क्यों’ और ‘वैâसे’ के सवालों पर गरमा-गरम बहस हो रही है। ‘अति आत्मविश्वास’ एक आम विषय है। मध्यम वर्ग के मतदाताओं में निराशा भी एक कारण है। पार्टी के एक पदाधिकारी ने निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि गरीबों को तीन साल से अधिक समय तक मुफ्त राशन दिया गया, इतनी बड़ी मात्रा में कि वे इसे पूरा नहीं खा सकते थे। इस बीच, हम मध्यम वर्ग के लोगों को केवल वादे ही मिले। दूसरे राज्यों में प्रचार करने वाले लोग बुदबुदा रहे थे कि इस बार कोई लहर नहीं थी। स्थानीय लोगों के साथ हमें मुश्किल समय का सामना करना पड़ा। नेताओं ने अपनी आंखें बंद रखीं। वाकई यह बहुत कठिन सबक है!
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं और देश की कई प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में इनके स्तंभ प्रकाशित होते हैं।)

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