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तावड़े ने सख्त किए तेवर … यूपी में नहीं चलेंगी सिफारिशें! …जिलाध्यक्षों के चुनाव का बदला समीकरण

मनोज श्रीवास्तव / लखनऊ
भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री व उत्तर प्रदेश संगठन के चुनाव पर्यवेक्षक विनोद तावड़े ने वर्षों से चल रहे काकस को तोड़ते हुए जिला अध्यक्षों के चयन में मंडल अध्यक्षों के प्रस्ताव की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया है। तावड़े ने अपना तेवर सख्त करते हुए साफ कह दिया है कि अब यूपी में सिफारिशें नहीं चलेंगी।
सूत्रों के अनुसार, लगातार मिल रही शिकायतों से नाराज तावड़े ने जिला अध्यक्षों के निर्वाचन में १० फीसदी मंडल अध्यक्षों के प्रस्तावक होने की अनिवार्यता समाप्त कर दी है। जिसके कारण वर्षों से जिले से लेकर प्रदेश तक पदों पर कार्यकर्ताओं का हक मारनेवालों के पसीने छूट रहे हैं। अब भाजपा जिला अध्यक्ष बनने के लिए वह हर कार्यकर्ता नामांकन कर सकता है, जो इसकी लालसा रखता है। बशर्ते दो बार से वह सक्रिय सदस्य रहा हो। सर्वानुमति से प्रदेश अध्यक्ष बने इसके लिए विनोद तावड़े ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य व सिंचाई मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह से अलग-अलग भेंट की है। इसके साथ ही उन्होंने यूपी भाजपा के संगठन मंत्री धरमपाल तथा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह से भी लंबी चर्चा की है।

वाह रे यूपी भाजपा!
मृत कार्यकर्ता को बना
दिया मंडल अध्यक्ष!
-विनोद तावड़े ने जिम्मेदारों की लगाई क्लास

यूपी भाजपा में गजब का कारोबार चल रहा है। वहां एक मृत कार्यकर्ता को मंडल अध्यक्ष बना दिया गया। यह कारनामा गत ३० दिसंबर को हुआ था, जब ७५० मंडल अध्यक्षों की सूची जारी की गई थी। इसके बाद भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री विनोद तावड़े ने इसके लिए जिम्मेदार लोगों के कान उमेठे थे।
बता दें कि वर्षों बाद यूपी भाजपा के संगठन में स्वस्थ व निष्पक्ष चुनाव देखने को मिल रहा है। पार्टी के विनोद तावड़े सर्वानुमति से चुनाव सम्पन्न कराने के लिए प्रदेश के नेताओं से सीधे संपर्क कर रहे हैं। वर्षों से भाजपा का सांगठनिक चुनाव में पर्यवेक्षकों की संदेश वाहक की बनी भूमिका को तोड़ने में कामयाब हुए हैं। उन्होंने यूपी में कैंप करके १,८१९ मंडल अध्यक्षों के सापेक्ष १,५१० मंडल अध्यक्षों की नियुक्ति करवा दी है। बताते हैं कि कई जिलों में सांसद, विधायकों व सांगठनिक क्षत्रपों के बीच वर्चस्व की लड़ाई के कारण ३०९ मंडल अध्यक्षों की नियुक्ति रोक कर तावड़े लखनऊ से निकल गए। इन्हीं मंडल, जिला और प्रदेश के बनने वाले नए अध्यक्षों के कंधों पर २०२६ के पंचायत और २०२७ के विधानसभा चुनाव जिताने की जिम्मेदारी रहेगी। बता दें कि यूपी में एक पूर्व संगठन मंत्री व वर्तमान राष्ट्रीय पदाधिकारी रह चुके गुजरात टीम के कृपा पात्र नेता के काकस के लोग जमें हुए थे। तावड़े ने सबकी मस्ती ढीली कर दी है।

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