जरा जरा सी, खुशियों का हिसाब रखते हो
और कहते हो, मुहब्बत बेहिसाब करते हो
छोटे छोटे शिकवे, हजार करते हो
और कहते हो, प्रेम का समुंदर रखते हो
चले जाते हो मुझे छोड़कर, जैसे जानते नहीं
और छोटी छोटी बातों में, ताने हजार करते हो
कहते हो मुझसे, मैं जान हूं तेरी
पर गैरों से आशिकी, बेहिसाब करते हो
मैंने बडी़ सिद्दत से चाहा है, मेरे हमसफर
पर तुम किसी और पर, खुशियां बर्बाद करते हो।
-वंदना मौर्या, इंदौर