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काम का बहिष्कार करेंगे शिक्षक! स्कूलों के दबाव के बीच चुनावी ड्यूटी का विरोध

सामना संवाददाता / मुंबई
महाराष्ट्र में सत्ता में जब से ईडी सरकार आई है, तब से किसी न किसी कारनामे को लेकर सुर्खियों में रहती है। सरकार को न केवल आलोचनाएं झेलनी पड़ती है, बल्कि हड़ताल और विरोध का सामना भी करना पड़ता है। ऐसा ही एक और मामला सामने आया है, जिसमें ईडी सरकार ने शिक्षकों पर चुनावी ड्यूटी का बोझ लाद दिया है। स्कूलों में शिक्षकों की कमी के कारण पहले से ही परेशान शिक्षकों पर चुनावी ड्यूटी आने से शिक्षक काम का बहिष्कार करने की तैयारी में हैं।
बता दें कि परिस्थिति ऐसी हो गई है कि इस तरह के कामों के कारण अधिकांश स्कूलों में ५० फीसदी शिक्षक बच्चों को पढ़ाने के लिए पहुंच ही नहीं पा रहे हैं। अब शिक्षकों ने काम का बहिष्कार करने की चेतावनी ईडी सरकार को दे दी है। गौरतलब है कि शिक्षकों को अभी तक मराठा आरक्षण को लेकर सर्वे के काम से राहत नहीं मिली है। ऐसे में शिक्षक आगामी लोकसभा चुनाव के काम में व्यस्त हो गए हैं।
उल्लेखनीय है कि १२वीं की २१ फरवरी, जबकि एक मार्च से १०वीं की परीक्षा शुरू होने जा रही है। ऐसे में शिक्षकों से सर्वेक्षण के कार्य कराए जा रहे हैं। इसमें केवल शिक्षकों के समय की बर्बादी हो रही है। सर्वेक्षण कार्य में उन्हें अनेक कटु अनुभवों का सामना करना पड़ रहा है। इसके अलावा यूडायस, मुख्यमंत्री सुंदर स्कूल के लिए ऑनलाइन जानकारी भरने के काम में भी शिक्षकों का काफी समय बर्बाद होता है। दूसरी तरफ छात्रों के पाठ्यक्रम को पूरा करने के दबाव के कारण शिक्षक थक गए हैं। दरअसल, शिक्षा का अधिकार कानून शिक्षकों को किसी भी तरह के गैर शैक्षणिक कार्य करने से रोकता है। इसके अपवाद केवल मतदान, वोटों की गिनती और जनगणना तथा चुनाव से संबंधित आपातकालीन स्थितियों में उत्पन्न होनेवाले कार्य हैं। हालांकि, पिछले कुछ दिनों से शिक्षक हर कार्य में व्यस्त हैं, इसीलिए शिक्षक नेता चुनाव कार्य का बहिष्कार करने का पैâसला कर रहे हैं।
…अन्यथा अनुशासनात्मक कार्रवाई
शिक्षा अधिकारियों की ओर से आदेश दिया गया कि मनपा और निजी सहायता प्राप्त प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षक चुनाव कार्यालय में उपस्थित हों। इसमें अनुपस्थित शिक्षकों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की भी चेतावनी दी गई थी।
 चुनाव कार्य?
स्कूलों का अव्यवस्थित चक्र अब जबकि पटरी पर लौट रहा है तो शिक्षकों को चुनाव कार्य में लगा दिया गया है। प्रत्येक विद्यालय में कम से कम ५० प्रतिशत शिक्षकों को अन्य कामों में लगाया गया है। फिलहाल, परीक्षाओं की प्लानिंग और अन्य दैनिक सूचनाएं ऑनलाइन भरनी होती हैं। ऐसे में यह सवाल खड़ा हो गया है कि चुनाव कार्य वैâसे किया जाए।

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