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भारत पर हमले के लिए आतंकी हुए एकजुट! …बांग्लादेश के कुख्यात संग’न ‘एटीबी’ और लश्कर ने मिलाया हाथ

वारदात के लिए पूर्वोत्तर से कर सकते हैं घुसपै’

सामना संवाददाता / नई दिल्ली
बांग्लादेश में हुए तख्तापलट के बाद अब आतंकियों की बल्ले-बल्ले हो गई है। पाकिस्तान और बांग्लादेश दोनों जगहों पर आतंकियों का गढ़ है। खबर है कि बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद आतंकियों में नई जान आ गई है। भारत पर हमले के लिए पाकिस्तान व बांग्लादेश के आतंकियों के एकजुट होने की खबर है। खुफिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा ने कथित तौर पर भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में आतंकवादी हमलों को अंजाम देने के लिए बांग्लादेश की अंसारुल्लाह बांग्ला टीम (एबीटी) के साथ हाथ मिला लिया है।

बांग्लादेशी हिंदुओं के खिलाफ रची गई
आतंकी साजिश!
पाकिस्तानी आईएसआई से मिला था निर्देश

बांग्लादेश में हो रही हिंसा में पाकिस्तानी आतंकियों का हाथ है। खुफिया जानकारी से पता चलता है कि पाकिस्तान की आईएसआई ने बांग्लादेश में हुए इस बदलाव में बड़ी भूमिका निभाई है। बांग्लादेश में हुई सियासी उथल-पुथल का असर भारत पर भी देखने को मिल रहा है। एक ओर जहां सीमाओं पर चुनौतियां बढ़ गई हैं, वहीं इस घटनाक्रम के बाद आतंकवादी संग’नों की सक्रियता का खतरा भी बढ़ गया है। ऐसा इसलिए है क्योंकि भले ही कहा जा रहा हो कि बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के खिलाफ छात्रों ने माहौल बनाया हो, लेकिन तमाम खुफिया रिपोर्टों से पता चलता है कि इस हिंसा के पीछे सक्रिय आतंकवादी संग’नों का हाथ था, जिनकी साजिश बांग्लादेशी हिंदुओं के खिलाफ भी थी।
खुफिया जानकारी से पता चलता है कि जमात-ए-इस्लामी और एबीटी सहित अन्य आतंकवादी समूहों का इस तख्तापलट को समर्थन था। रिपोर्ट से पता चलता है कि एबीटी और लश्कर के बीच कुछ वक्त पहले एक सहमति बनी थी, जिसका मकसद भारत में आतंकी हमला करना था। रिपोर्ट से पता चलता है कि त्रिपुरा में मस्जिदों को नुकसान पहुंचाने की खबरों के बाद लश्कर और एबीटी ने ये ग’बंधन किया। खुफिया इनपुट से संकेत मिलता है कि लगभग ५० से १०० एबीटी वैâडर त्रिपुरा में घुसपै’ करने की योजना बना रहे थे, लेकिन इनमें से कई लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया था।
२००७ में हुई शुरुआत
इसकी शुरुआत २००७ में होती है जब जमात उल-मुस्लिमीन नामक एक संग’न चर्चा में आता है, लेकिन फंडिंग की कमी के चलते थोड़े ही समय में इसका प्रभाव फीका पड़ गया। फिर २०१३ में यह एबीटी के रूप में फिर से सामने आया। २०१५ में इस ग्रुप पर बैन लगा। फिर इसने अंसार अल-इस्लाम के रूप में अपनी ब्रांडिंग की। २०१७ में फिर से इसे बैन कर दिया गया। तब से अंसार अल-इस्लाम ने खुद को बांग्लादेशी शाखा के रूप में स्थापित किया है। इस संग’न पर बांग्लादेश में कई धर्मनिरपेक्ष लोगों की हत्या का आरोप है। दक्षिण एशिया आतंकवाद पोर्टल के अनुसार, २०१३ से पूरे बांग्लादेश में लगभग ४२५ एबीटी/अंसार अल-इस्लाम सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है।

बांग्लादेश में ९ सक्रिय आतंकी संग’न
१. एबीटी
२. अंसार अल-इस्लाम
३. लश्कर-ए-तैयबा
४. हूजी-बी
५. जगराता मुस्लिम जनता बांग्लादेश
६. जमात-उल-मुजाहिद्दीन बांग्लादेश
७. पुरबा बांग्लार
८. इस्लामी छात्र शिबिर
९. इस्लामिक स्टेट

 

 

 

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