सामना संवाददाता / मुंबई
विधानसभा चुनाव और २६/११ हमले की बरसी पर देश की आर्थिक राजधानी मुंबई पर ड्रोन अटैक का खतरा मंडराने लगा है। खुफिया एजेंसियों से मिले इनपुट के आधार पर मुंबई पुलिस अलर्ट हो गई है। पुलिस ने मुंबई में १ नवंबर से २९ नवंबर तक आसमान में ड्रोन, रिमोट कंट्रोल माइक्रोलाइट एयरक्राफ्ट, पैराग्लाइडर्स और हॉट एयर बलून उड़ाने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया है। मुंबई पुलिस ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा १६३ के तहत यह प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किया है। इसके साथ ही शहर के पुलिस को भी अलर्ट किया गया है।
मुंबई पुलिस की तरफ से शुक्रवार को यह प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किया गया है। एक अधिकारी ने बताया कि यह कदम महाराष्ट्र में २० नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव और २६/११ आतंकी हमले में शहीदों को श्रद्धांजलि देने के कार्यक्रमों के मद्देनजर उठाया गया है। पुलिस का मानना है कि विधानसभा चुनाव और २६ / ११ शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए वीवीआईपी लोगों का आगमन होगा, ऐसे में इन वीवीआईपी लोगों पर और सार्वजनिक जगहों पर आतंकी हमले की संभावना जताई जा रही है। इसी को देखते हुए या सार्वजनिक संपत्तियों पर संभावित हमलों से बचने के लिए यह पाबंदी लगाई गई है। मुंबई पुलिस ने चेतावनी दी है कि इस आदेश का पालन अनिवार्य है। अगर कोई व्यक्ति इन उड़ती हुई वस्तुओं का उपयोग करते पाया गया, तो भारतीय दंड संहिता की धारा २२३ के तहत उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। हालांकि पटाखे फोड़ने के लिए ४-५ लोगों के जमा होने पर छूट दी गई है।
२६/११ हमले के पीड़ितों के
रिश्तेदारों को मिली नौकरी
मुंबई में २६/११ के दिन कामा अस्पताल में हुए आतंकी हमले में मारे गए लोगों के पांच रिश्तेदारों का इंतजार १६ साल बाद खत्म हो गया है और उन्हें हाल ही में कामा अस्पताल में उनके हक की नौकरी मिल गई है। इससे हमले के पीड़ितों के परिजनों को भी सहारा मिला है। कामा अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक ने तुषार पालव ने बताया कि नीता कणबी, भावना गिलातर, ज्योति सालंकी, शेखर दिवेकर और विक्रम उघडे को नौकरी मिल गई है। बता दें कि कामा अस्पताल में सुरक्षा गार्ड के तौर पर अपनी ड्यूटी निभा रहे बबन बालू उघडे अजमल कसाब के हमले में शहीद हो गए थे। आतंकी हमले में शहीद हुए उघडे का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया था। वे परिवार में अकेले कमानेवाले थे। उनकी मौत के बाद उनके परिवार के सामने जीविका की समस्या खड़ी हो गई। जिसके बाद तत्कालीन सरकार ने परिवार को हर संभव मदद देने का वादा किया था।