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रेजीडेंट डॉक्टरों के साथ घाती सरकार की हेकड़ी! …हड़ताल पर जाने की दी चेतावनी

चरमरा सकती है स्वास्थ्य व्यवस्था
२८ बार पत्र भेजने के बाद भी मांग नहीं हुई पूरी
सामना संवाददाता / मुंबई
प्रदेश में रेजिडेंट डॉक्टरों की मूलभूत मुद्दों में शामिल वेतन बढ़ोतरी, छात्रावास की दयनीय स्थिति, प्रलंंबित भत्तों समेत कई मांगों को लेकर एक-दो नहीं, बल्कि करीब २८ बार घाती सरकार को पत्र भेज कर इन मामलों में हस्तक्षेप करने की मांग ‘मार्ड’ संगठन कर चुका है। लेकिन घाती सरकार लगातार हेकड़ी दिखाते हुए रेजिडेंट डॉक्टरों की मांगों को आज तक नजरअंदाज करते आ रही है। इससे आक्रोशित हुए प्रदेश के सभी सरकारी मेडिकल कॉलेजों के रेजिडेंट डॉक्टरों ने सात फरवरी से अनिश्चितकालीन हड़ताल की चेतावनी दी है। ऐसे में यदि हड़ताल शुरू होती है तो स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा सकती है और रोगी के देखभाल में गिरावट की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।
रेजिडेंट डॉक्टरों के केंद्रीय संगठन मार्ड द्वारा विभिन्न मांगों को लेकर बार-बार फॉलोअप करके भी रेजिडेंट डॉक्टरों की मांगें पूरी नहीं की जा रही हैं। हालांकि, इतना जरूर है कि डॉक्टर को केवल मौखिक आश्वासन देकर आश्वस्त किया जा रहा है, लेकिन अभी तक बुनियादी काम नहीं हुए हैं। इससे पहले ४ अक्टूबर २०२३ को चिकित्सा शिक्षा मंत्री हसन मुश्रीफ के साथ एक बैठक हुई। इसमें उन्होंने मौखिक रूप से इन मुद्दों को हल करने का वादा किया था, लेकिन इसके बावजूद अभी तक स्थिति जस की तस बनी रही। इसके बाद रेजिडेंट डॉक्टर विभिन्न मांगों को लेकर जनवरी २०२३ में हड़ताल पर चले गए। हालांकि, उस समय भी घाती सरकार से सभी मांगें मानने का आश्वासन मिलने के बाद हड़ताल समाप्त कर दी गई थी। लेकिन एक साल बाद भी यह सरकार हेकड़ी दिखा रही है। साथ ही अभी तक इस सरकार की तरफ से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
छात्रावास में जगह की कमी
पिछले कुछ वर्षों में राज्य के बाहर से आनेवाले छात्रों की संख्या में वृद्धि हुई है। यह देखा गया है कि इस कारण हर सरकारी मेडिकल कॉलेज में छात्रावास की जगह की कमी है। इस कारण छात्रावासों को सुदृढ़ करने का मुद्दा बार-बार सरकार के समक्ष उठाया गया, लेकिन इस पर ध्यान नहीं दिया गया। इससे रेजिडेंट डॉक्टरों में भारी असंतोष है।

क्या हैं मांगें?
मार्ड के अनुसार, प्रमुख मांगों में वरिष्ठ रेजिडेंट डॉक्टरों के लिए छात्रावास सुविधाओं का प्रावधान, ट्यूशन फीस का विनियमन, लंबित ट्यूशन फीस का भुगतान और ट्यूशन फीस में वृद्धि शामिल है।

 

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