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लाडली बहन में भी घातियों ने किया घात! …तृतीय पंथियों को भूल गए सीएम

-ट्रांसजेंडर समुदाय ने उठाई आवाज बोली, क्या हम नहीं हैं बहनें
सामना संवाददाता / मुंबई
लाडली बहन योजना में ट्रांसजेंडरों के साथ घाती सरकार ने घात किया है। इस योजना में तृतीय पंथियों को ही सूबे के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे भूल गए हैं। ऐसे में ट्रांसजेंडर समाज ने आवाज उठाते हुए कहा है कि क्या हम बहनें नहीं हैं। इसके साथ ही उन्होंने मांग की है कि उन्हें भी योजना में शामिल किया जाए।
उल्लेखनीय है कि विधानसभा चुनाव के मद्देनजर घाती सरकार ने लाडली बहन योजना को पिछले साल शुरू किया था। हालांकि, इस सरकार ने ट्रांसजेंडरों के साथ दोहरापन अपनाते हुए उन्हें योजना में शामिल ही नहीं किया। इस वजह से उन्हें इस योजना का लाभ नहीं मिल सका, लेकिन अब ट्रांसजेंडर समाज आवाज उठाना शुरू कर दिया है। किन्नर अस्मिता फाउंडेशन की ४६ वर्षीय ट्रांस लीडर नीता केने ने कहा कि इसे लेकर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से मुलाकात करते हुए अनुरोध किया था कि तृतीय पंथी समाज को भी योजना में शामिल किया जाए। उन्होंने उस समय केवल आश्वासन दिया था, लेकिन आज तक हमें कोई लाभ नहीं मिला। उन्होंने सवाल किया कि क्या हम बहन नहीं हैं? हमें अक्सर क्यों नजरअंदाज किया जाता है? उन्होंने कहा कि लाडली बहन सहित तमाम सरकारी योजनाओं को ट्रांसजेंडर समाज को शामिल किया जाना चाहिए।
बीच में ही छोड़ देते हैं पढ़ाई
कई ट्रांसजेंडर स्कूल या कॉलेज की पढ़ाई बीच में ही छोड़ देते हैं। अपनी सीमित शिक्षा के कारण अक्सर वे भीख मांगते हुए दिखाई देते हैं। दूसरी ओर उन्हें मतदाता पहचान पत्र बनाने में कोई समस्या नहीं आती है, लेकिन उन्हें आधार कार्ड और पैन कार्ड बनाने में बहुत संघर्ष करना पड़ता है। इन महत्वपूर्ण दस्तावेजों की कमी के कारण ट्रांसजेंडरों के लिए बनाई गई अन्य योजनाओं का लाभ नहीं उठा सकते हैं। इस बीच एक ट्रांस एड. डॉ. पवन यादव ने कहा कि हम लोकतंत्र में हमें वोट देने का अवसर देने के लिए इलेक्शन कमिशन के आभारी हैं, लेकिन हमें राज्य सरकार की लाडली बहन योजना से बाहर रखा गया है।
निष्क्रिय है महाराष्ट्र ट्रांसजेंडर कल्याण बोर्ड
डॉ. यादव ने आगे कहा कि हमारे समाज की जीवन स्थितियों को बेहतर बनाने के लिए राज्य में महाराष्ट्र ट्रांसजेंडर कल्याण बोर्ड का गठन किया गया है, लेकिन यह महीनों से निष्क्रिय पड़ा है। अगर इसे सक्रिय किया जाता है तो कम से कम किसी तरह समाज को इसका लाभ मिल सकता है। डॉ. यादव ने कहा कि हमें आसानी से किराए पर घर नहीं मिलते हैं और जब हम शिकायत करने के लिए पुलिस के पास जाते हैं तो हमारी शिकायतें अनसुनी कर दी जाती हैं।

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