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मुंबईकरों की `बेस्ट’ समस्या … रफ्तार धीमी, इंतजार लंबा! …१५-२८ मिनट के सफर के लिए करना पड़ता है आधे घंटे का इंतजार

सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबईकरों के लिए बेस्ट बसों का सफर अब `बेस्ट’ नहीं रह गया है। जहां पहले औसतन १५ मिनट में बस मिल जाती थी, अब इसके लिए २५-२८ मिनट तक का इंतजार करना पड़ रहा है। इसकी मुख्य वजह है बसों की धीमी रफ्तार, जो समय के साथ और घटती जा रही है।
बेस्ट प्रशासन के आंकड़ों के मुताबिक, २०१३-१४ में बसों की औसत गति १२ किमी प्रति घंटा थी, जो २०२३-२४ में घटकर १० किमी प्रति घंटा रह गई। हर बस औसतन १६ घंटे चलती है। २०१३-१४ में एक बस का लक्ष्य २०६.९ किमी था, जिसमें वह १८६.२ किमी तक पहुंच जाती थी। लेकिन २०२३-२४ में यह लक्ष्य १९७.२ किमी तक सिमट गया और बसें सिर्फ १६१.१ किमी तक ही सफर तय कर सकीं।
पिछले एक दशक में बेस्ट के बस बेड़े में भी गिरावट आई है। २०१३-१४ में जहां ४,२८८ बसें सड़कों पर दौड़ती थीं, अब यह संख्या घटकर २,८८९ हो गई है। इनमें से ९८९ बसें बेस्ट की हैं, जबकि १,९०० बसें किराए पर ली गई हैं। इस गिरावट ने यात्रियों की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं।
संगठन का समाधान सुझाने का प्रयास
यात्री अधिकार संगठन ‘आपली बेस्ट आपल्यासाठी’ के अध्यक्ष रूपेश शेलटकर का कहना है, ‘हमने इस मुद्दे पर कई बार बेस्ट अधिकारियों से चर्चा की है। बढ़ते ट्रैफिक और देरी के चलते कई रूट बंद हो चुके हैं। हमने सुझाव दिया है कि ईस्टर्न और वेस्टर्न एक्सप्रेसवे पर अलग बस लेन बनाई जाए। इसके अलावा सड़क किनारे अतिक्रमण और फेरीवालों को हटाना भी जरूरी है। जल्द ही हम इस पर बेस्ट, मनपा और पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे।’
छोटी बसों से भी नहीं मिली राहत
ट्रैफिक की समस्या सुलझाने के लिए बेस्ट ने पिछले कुछ वर्षों में छोटे बसें चलार्इं, लेकिन इसका प्रभाव नगण्य रहा। अब सवाल यह है कि अलग बस लेन जैसे सुझाव क्या सचमुच यात्रियों को राहत देंगे, या फिर यह इंतजार और लंबा हो जाएगा।

यात्री और रूट पर असर
धीमी गति और कम बसों का असर यात्रियों की संख्या और रूट पर भी पड़ा है। जहां एक दशक पहले ३६ लाख लोग बेस्ट बसों का इस्तेमाल करते थे, अब यह संख्या घटकर ३१.५ लाख रह गई है। साथ ही कई रूट्स को छोटा कर दिया गया है या पूरी तरह बंद कर दिया गया है।

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