– उल्हासनगर मध्यवर्ती अस्पताल ने चार माह से नहीं चुकाया बिल
– एजेंसी ने दवा, टेस्ट किट सहित अन्य सामानों की रोकी सप्लाई
अनिल मिश्रा / उल्हासनगर
राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने पिछले साल उल्हासनगर में बड़े ही धूमधाम से उल्हासनगर मध्यवर्ती अस्पताल का उद्घाटन किया था और इस बात का जोर-शोर से प्रचार किया था कि इस अस्पताल में मरीजों का टेस्ट से लेकर इलाज तक सब नि:शुल्क होगा, लेकिन अब इस घाती सरकार की हकीकत सामने आ गई। सूत्रों के अनुसार, एक वर्ष पूर्व शुरू की गई यह योजना बंद होने की कगार पर पहुंच गई है। बताया जाता है कि चार माह से दवा व टेस्ट के लिए लगनेवाले सामान की खरीदारी का लाखों रुपए बकाया हो गया है। बकाया रकम का भुगतान न होने के कारण एजेंसी ने दवा, टेस्ट किट सहित अन्य सामान की सप्लाई करने से इनकार कर दिया है। इस योजना के बंद होने के बाद से गरीब मरीज अपना इलाज कहां कराएंगे, ऐसा सवाल उठने लगा है।
गरीब मरीजों को हो रही दिक्कत
बता दें कि राज्य सरकार ने १५ अगस्त २०२३ को मुफ्त उपचार योजना शुरू की थी। उल्हासनगर के मध्यवर्ती अस्पताल में भी यह योजना शुरू हुई थी। मध्यवर्ती अस्पताल में करीब २,००० ओपीडी के मरीज प्रतिमाह आते हैं। इसके अलावा २०१ बेड भी हैं। घोषणा के बाद अस्पताल में मरीजों का उपचार मुफ्त में किया जाने लगा। लेकिन अस्पताल प्रशासन ने संबंधित एजेंसी का बिल चार महीने से नहीं चुकाया है, जिसके बाद एजेंसी ने दवा, टेस्ट किट सहित अन्य सामानों की सप्लाई करने से इनकार कर दिया है। सूत्रों के अनुसार, अस्पताल पर एजेंसी का ३५ लाख १६ हजार ८२८ रुपए का बिल बकाया हैंै, जिसमें से ३ लाख ६ हजार ५६० रुपए प्रयोगशाला की सामग्री है। सप्लाई रुकने की वजह से अब मरीजों को मुफ्त उपचार देने में अस्पताल को दिक्कत हो रही है।
कर्ई अस्पतालों की यही स्थिति
यह भी बताया जा रहा है कि ऐसी स्थिति मध्यवर्ती अस्पताल की ही नहीं बल्कि बदलापुर ग्रामीण, अंबरनाथ के छाया अस्पताल की भी है। इस बारे में उल्हासनगर के मध्यवर्ती अस्पताल के सिविल सर्जन मनोहर बनसोडे ने बताया कि २५ सितंबर २०२४ को जिला शल्य चिकित्सक, ठाणे को लिखित जानकारी दी गई है। पहले दस रुपए केस पेपर व उपचार के एवज में कुछ राशि ली जाती थी, उससे अस्पताल का कारभार चलता था। अब सरकार की मुफ्त घोषणा शुरू होने से काफी तकलीफ महसूस हो रही है।