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बुलेटप्रूफ कार को भेद गई गोली… पल भर में बाबा सिद्दीकी को सुला दिया मौत की नीद

सामना संवाददाता / मुंबई

अजीत पवार गुट के नेता बाबा सिद्दीकी की हत्या के बाद ९.९ एमएम पिस्टल इस समय खूब चर्चा में है। यह वही पिस्टल है, जिसकी गोली न केवल बुलेटप्रूफ कार को भेद गई, बल्कि पल भर में ही अजीत पवार गुट के नेता को मौत की नींद सुला दी। आमतौर पर यह पिस्टल पैरा मिलिट्री फोर्स और पुलिस के इस्तेमाल में आती है, लेकिन गैंगस्टरों के लिए भी यह पिस्टल पहली पसंद है।
उल्लेखनीय है कि ९० के दशक में उत्तर भारत के सबसे खूंखार गैंगस्टर श्रीप्रकाश शुक्ला को तो एके-४७ से भी ज्यादा भरोसा इस पिस्टल पर था। गैंगस्टर श्रीप्रकाश शुक्ला हमेशा दो ९.९ एमएम पिस्टल अपने साथ लेकर चलता था। भारत में इस पिस्टल का पहली बार इस्तेमाल १९८१ में हुआ था। पश्चिम बंगाल के ईशापुर आर्डिनेंस पैâक्ट्री में इस पिस्टल को पहली बार जॉन इंग्लिस एंड कंपनी के सहयोग से बनाया गया था।
सेमी ऑटोमेटिक पिस्टल है ९.९ एमएम
इस पिस्टल की मैगजीन में कुल १३ राउंड होते हैं। इस पिस्टल का इस्तेमाल करनेवाला चाहे तो एक बार में ही यह सभी १३ राउंड फायर कर सकता है और चाहे तो एक-एक कर भी मैगजीन को खाली कर सकता है। दावा किया जाता है कि ट्रिगर लॉक हो तो पिस्टल लोड होने के बाद भी जमीन पर गिर जाए तो गोली नहीं चल सकती, जहां तक इस पिस्टल से मारने की बात है, तो अजीत पवार गुट के नेता बाबा सिद्दीकी केस से ही अंदाजा लगाया जा सकता है। इस पिस्टल से चलाई गई गोली बाबा सिद्दीकी की बुलेटपूफ कार की न केवल बॉडी में घुस गई, बल्कि विंड स्क्रीन को भी भेद दिया।

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