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बुलेट चली नहीं फसलें ‘कटने’ लगीं! …महाराष्ट्र के किसानों पर अत्याचार जारी

सामना संवाददाता / मुंबई
महाराष्ट्र में किसानों की दुर्दशा किसी से छिपी नहीं है। किसानों को मुआवजा दे पाने में भाजपा सरकार नाकाम रही है। उधर २०१४ में दिल्ली की सत्ता संभालने के बाद से ही पीएम मोदी बुलेट ट्रेन की रट लगाए रहते हैं। इतने वर्षों में बुलेट तो चली नहीं, पर किसानों की फसलें जरूर ‘कटने’ लगीं। दहानू में इसका प्रत्यक्ष प्रमाण देखा जा सकता है। बुलेट की ट्रैक का काम करनेवाले कर्मचारी अगल-बगल स्थित किसानों के खेत में लगे बाड़ तोड़कर वहां घुस जा रहे हैं, जिससे किसानों की फसलें नष्ट हो जा रही हैं।

ईडी सरकार में किसानों पर अत्याचार!
किसानों की फसलों को
कुचल रही है बुलेट ट्रेन!
निर्माण ठेकेदारों की लापरवाही

ईडी सरकार में किसानों पर जुल्म रुकने का नाम नहीं ले रहा है। पूरे राज्य में किसान परेशान हैं। अब किसानों पर अत्याचार का एक और मामला दहानू से सामने आया है, जहां बुलेट ट्रेन का काम किसानों के फसलों को कुचल रहा है। वहां के किसानों ने फसल बर्बादी का ठीकरा बुलेट ट्रेन के ठेकेदारों पर फोड़ा है।
मिली जानकारी के मुताबिक, बुलेट ट्रेन के ठेकेदार किसानों की निजी जमीन पर काम के दौरान निकल रहे मलबे को फेंक रहे हैं। इस वजह से जमीन पर उगाई गई फसलों का नुकसान हो रहा है। किसानों ने अपनी फसल बचाने के लिए बाउंड्री पर तारों वाली फेंसिंग लगाई है, लेकिन ढेर सारे मलबे गिरने की वजह से फेंसिंग ढह गई। दहानू के किसानों ने बताया कि बुलेट ट्रेन के ठेकेदार बिना किसानों के निजी जमीन की परवाह किए लापरवाही से काम कर रहे हैं। फेंसिंग टूट जाने की वजह से जंगली जानवर व पशु खेत में घुस जाते है, जिसकी वजह से फसलों को नुकसान पहुंचता है। किसान फवजान हुसैन अहमद ने बताया कि ठेकेदारों की लापरवाही से अब तक ४० से ५० केलों के पेड़, नारियल के पेड़, तुअर की फसलों का नुकसान हुआ है। उन्होंने बताया कि उनके पड़ोसी की बाउंड्री को तोड़ दिया गया है और सारा मलबा उनकी जमीन पर फेंक दिया गया है। इस मामले में फवजान ने एनएचआरसीएल से शिकायत की लेकिन कुछ फायदा नहीं हुआ।
जुलाई २०२४ से जनवरी २०२५ तक दहानू के किसान बुलेट ट्रेन के ठेकेदारों की वजह से अपनी जमीन पर खेती नहीं कर पा रहे हैं। सिर्फ यहीं तक नहीं, बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट पर काम कर रहे मजदूर दोपहर को किसानों के खेत में बैठकर गंदगी भी फैलाते हैं। पत्थर व लोहे के कण जमीन पर फेंकने की वजह से जमीन उपजाऊ नहीं रह जाती है।

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