-अभी भी ७५ प्रतिशत काम है अधूरा
सामना संवाददाता / मुंबई
केंद्र सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में ‘हर घर नल’ योजना के तहत हर घर तक पानी पहुंचाने के लिए जल जीवन मिशन योजना लागू की गई है, लेकिन यह योजना पूरी तरह से फेल होती नजर आ रही है। शाहपुर तालुका में पेयजल जैसी २०० योजनाएं अधूरी हैं। ठेकेदारों, भ्रष्ट अधिकारियों और सत्ताधारी नेताओं ने पैसा खाकर जल योजनाओं को चूना लगा दिया है।
चिलचिलाती धूप में पानी की तलाश करने को मजबूर महिलाएं
महिलाओं को कुएं और बोरवेल में पानी आने के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता है। मां-बहनें चिलचिलाती गर्मी सहते हुए सिर पर हंडा लेकर दो से तीन किलोमीटर पैदल चलकर पानी ला रही हैं, जिसके कारण उनका पूरा दिन पानी लाने में ही बीत जाता है।
ठेकेदारों के ६८ करोड़ रुपए
लाडली बहन योजना में लगाए गए
तीन साल से कई ठेकेदारों को जलजीवन योजना में किए गए कार्यों का पैसा नहीं मिला है। ठेकेदार अनिकेत धालपे ने कहा कि तीन कामों का मेरा २.५ करोड़ रुपए का बिल आज तक नहीं मिलने के कारण मैं घर चलाने के लिए आभूषण रखकर गुजारा कर रहा हूं। कई पढ़े-लिखे बेरोजगारों ने अपनी मां, बहन, पत्नी के गहने गिरवी रख दिए। कई लोगों ने कर्ज लेकर काम किया, लेकिन कोई किश्त नहीं मिलने से वे हैरान और उदास हैं। चुनाव के दौरान शाहपुर तालुका में आए ६८ करोड़ के फंड को लाडली बहन योजना में आवंटित कर दिए जाने से ठेकेदारों की स्थिति खराब हो गई है। इसलिए ठेकेदारों ने ५ फरवरी से जलजीवन मिशन योजना का सारा काम बंद कर दिया है। वहीं दूसरी ओर ग्रामीण भागोंं में पानी की कमी के विरोध में महिलाएं पानी टंकी पर पर चढ़ जा रही हैं। सरकार ने हर घर में प्रति व्यक्ति ५५ लीटर पानी देने की घोषणा की थी। लेकिन ७० फीसदी काम अभी भी अधूरा पड़ा है।