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केंद्र सरकार समय-सारिणी का नहीं करती पालन … अपील दायर करने में क्यों लगे २९५ दिन?

-‘कहीं न कहीं कुछ गड़बड़ है…आत्मनिरीक्षण आवश्यक है’
-एनएचआई दिवालिया मामले की सुप्रीम कोर्ट कर रहा था सुनवाई

सामना संवाददाता / नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने समय-सीमा का पालन नहीं करने के लिए केंद्र सरकार को जमकर फटकार लगाई है। शीर्ष अदालत ने याचिका दायर करने में देरी पर सरकार से आत्मनिरीक्षण करने को कहा। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एनएचएआई (भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण) सहित सरकारी प्राधिकारियों से अपील दायर करने में अत्यधिक देरी को लेकर आत्मनिरीक्षण करने को कहा।
सीजेआई संजीव खन्ना ने एनएचएआई की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा, ‘मुझे लगता है कि लगभग ९५ प्रतिशत मामलों में सभी लोग समय-सीमा का पालन कर रहे हैं। भारत सरकार इसका पालन क्यों नहीं कर पा रही है? कहीं न कहीं कुछ गड़बड़ है, आत्मनिरीक्षण जरूरी है।’ एनएचएआई ने दिवालियापन मामले में राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण के आदेश को चुनौती दी थी, जिसे जस्टिस संजय कुमार की पीठ के समक्ष लिस्टेड किया गया था। एनसीएलएटी ने देरी के कारण एनएचएआई की अपील खारिज कर दी थी। सीजेआई ने २९५ दिनों की देरी पर असहमति जताते हुए प्रक्रियागत समय-सीमा का पालन करने के महत्व पर बल दिया और कहा कि एनएचएआई का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत से सहमति जताते हुए इस मुद्दे को सुलझाने का आश्वासन दिया है। तुषार मेहता ने कहा, ‘मैं अध्यक्ष से बात करने का वचन देता हूं। उन्हें जांच करने दीजिए कि सुस्ती या अन्य कोई कारण क्यों था।’ यह मामला दिवाला और दिवालियापन संहिता की कार्यवाही से संबंधित है, जिसमें एनएचएआई ने उसकी सहमति के बिना स्वीकृत समाधान योजना को चुनौती दी थी।

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