-बजट का मात्र २९ फीसदी ही हो पाया उपयोग
सामना संवाददाता / मुंबई
देश की आर्थिक राजधानी मुंबई, जहां हर दिन हजारों सपने दौड़ते हैं, वहीं आग की घटनाएं शहर की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर रही हैं। मुंबई की फायर ब्रिगेड को देश के सबसे आधुनिक उपकरणों से लैस करने का दावा किया जाता है, लेकिन बजट खर्च करने और आग पर काबू पाने में पिछड़ती दिख रही है।
२०२४-२५ के बजट में फायर ब्रिगेड के आधुनिकीकरण के लिए २३२ करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया था। इसमें नए उपकरण खरीदने और फायर स्टेशनों के निर्माण का लक्ष्य शामिल था, लेकिन ३१ दिसंबर २०२४ तक इस बजट का मात्र २९ फीसदी, यानी लगभग ६६.३४ करोड़ रुपए ही खर्च हो पाया।
नए फायर स्टेशनों का काम अधूरा
कांदिवली, कांजुरमार्ग और तिलक नगर जैसे इलाकों में नए फायर स्टेशन बनाने की योजनाएं अभी भी अधर में हैं। लंबे वादों के बावजूद काम धीमी गति से हो रहा है। २०२४ में मुंबई में ५,२९६ आग की घटनाएं दर्ज की गर्इं, जिसमें २१ लोगों की मौत हुई और करोड़ों रुपए की संपत्ति खाक हो गई। बावजूद इसके फायर ब्रिगेड को नए उपकरण और सुविधाएं मिलने में देर हो रही है।
ऊंची इमारतों में सुरक्षा के अभाव
मुंबई की ३,६२९ ऊंची इमारतों में से सिर्फ ६० में फायर इवैक्यूएशन लिफ्ट लगी हैं। इसके अलावा ९० मीटर से ऊंची इमारतों में पानी की टंकियां और फायर सेफ्टी उपकरण लगाने के नियमों का पालन नहीं हो रहा है।