सामना संवाददाता / मुंबई
राज्य पुरस्कार प्राप्त किसान कैलास नागरे ने दो दिन पहले खेत की जमीन के लिए हक के पानी की मांग को लेकर आत्महत्या जैसा कठोर कदम उठाते हुए अपनी जान दे दी। इस घटना ने राज्य और जिलेभर के किसानों में दुख और गुस्सा पैदा कर दिया। इसी बीच, कैलास नागरे के अंतिम संस्कार कार्यक्रम में मंत्री और अन्य गणमान्य लोग मौजूद थे। इस दौरान कैलास की बहन ने अपनी नाराजगी का इजहार किया। उन्होंने कहा कि शर्म आनी चाहिए, अगर पालकत्व नहीं निभा सकते तो पालकत्व क्यों स्वीकारते हैं? देश को कृषि प्रधान कहते हैं? शर्म नहीं आती। मेरे भाई के नाम के सामने आत्महत्या नहीं, बल्कि बलिदान शब्द लगाया जाए। इस तरह के शब्दों में आत्महत्या करने वाले किसान की बहन ने मंत्री को खरी-खोटी सुनाई।
बुलढाणा जिले के देऊलगांव राजा के आत्महत्या करने वाले युवा किसान वैâलास नागरे की बहन सत्यभामा नागरे ने मंत्री प्रतापराव जाधव और सुनील कायंदे को खूब खरी-खोटी सुनाई।
बुलढाणा जिले के देऊलगांव राजा तालुका के शिवनी आरमाल के राज्य पुरस्कार प्राप्त किसान कैलास नागरे ने दो दिन पहले किसानों को खेती के लिए खडकपूर्णा प्रोजेक्ट से पानी मिलने के लिए आत्महत्या कर ली। कैलास नागरे के अंतिम संस्कार का कार्यक्रम कल उनके मूल गांव में हुआ। इस मौके पर विभिन्न जिलों के सैकड़ों पुरुष और महिला किसान भी मौजूद थीं। इस कार्यक्रम में केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री प्रतापराव जाधव और स्थानीय विधायक सुनील कायंदे भी मौजूद थे। इस मौके पर कैलास नागरे की बहन सत्यभामा नागरे ने राजनेताओं को खूब खरी-खोटी सुनाई।
आत्महत्या नहीं बलिदान
उन्होंने कहा कि मेरे भाई के सामने आत्महत्या शब्द का इस्तेमाल न करें, बल्कि बलिदान शब्द का इस्तेमाल करें। इस तरह का भावुक आह्वाहन भी सत्यभामा नागरे ने किया। उन्होंने कहा कि मेरे भाई को पता था कि इस देश में बलिदान दिए बिना कुछ नहीं मिलता और इसलिए उन्होंने किसानों के लिए बलिदान दिया है। राजनेता देश को कृषि प्रधान कहते हैं, उन्हें शर्म आनी चाहिए कि एक कृषि प्रधान देश में किसान आत्महत्या करता है और वह भी पानी के लिए। इस तरह के शब्दों में बहन ने अपने भाई की मौत के बाद तीव्र भावनाएं व्यक्त कीं।