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गौ माता को राष्ट्रमाता घोषित करने हेतु केंद्र सरकार द्वारा की जा रही देरी अब असहनीय-परमाराध्य शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती महाराज

केन्द्र सरकार को १७ मार्च तक का अन्तिम अवसर,सुनवाई न होने पर सनातनी हिन्दू लेंगे कड़ा निर्णय: परमाराध्य शङ्कराचार्य अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती महाराज

उमेश गुप्ता/वाराणसी

भारत की धरती पर गौमाता का रक्त बहे; यह हम सभी सनातनी गौभक्तों के माथे पर एक बड़ा कलंक है। जब देश में दूसरे दलों की सत्ता थी तो उनसे आशा नहीं की जा सकती थी परन्तु अब जब देश में बहुसंख्यक हिन्दुओं की सत्ता पिछले दस वर्षों से है तो ऐसे में इनसे आशा हो जाना स्वाभाविक है।

यह कहना था ज्योतिस्पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का, जो प्रयागराज में चल रहे 27 दिवसीय परमधर्मसंसद के समापन के बाद आयोजित प्रेस वार्ता में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि हमारे द्वारा गौ माता के लिए किया जा रहा यह आन्दोलन कोई नया नहीं है। वर्ष 1966 में धर्मसम्राट् स्वामी श्री करपात्री जी महाराज पर गोली चलने के बाद जो आन्दोलन रुक गया था उसी को पुनः गति देने का प्रयास सभी हिन्दुओं सहित देश के अन्य पीठों के शङ्कराचार्यों की भी दृढ भावना होने के कारण हम कर रहे हैं। गाय को अघ्न्या कहा गया है अर्थात् गाय की हत्या किसी भी दशा में नहीं की जा सकती। ऐसे में केन्द्र सरकार द्वारा भारत की धरती से गौमांस का निर्यात् हम सभी गौभक्तों के मन को अत्यन्त पीड़ा पहुँचा रहा है।

विगत 20 नवंबर 2023 से पूज्य गोपाल मणि जी के संयोजन में भारतीय गौ क्रांति मंच द्वारा गो प्रतिष्ठा आंदोलन पुनः आरम्भ हुआ जिसे चारो हम जगद्गुरू शङ्कराचार्य पीठों के आचार्यों का आशीर्वाद एवं समर्थन प्राप्त हुआ तथा द्वारा अब यह आंदोलन चल रहा है जिसके अन्तर्गत 3 गो संसद का आयोजन कर रामा गो प्रतिष्ठा संहिता बिल सहित 42 बिन्दु के प्रस्ताव पारित हुए, दिनांक 14 मार्च से 28 मार्च 2024 तक नंगे पैर पदयात्रा गोवर्धन से दिल्ली तक आयोजित हुई, सम्पूर्ण भारत में गो ध्वज स्थापना भारत यात्रा दिनांक 22 सितंबर से 27 अक्टूबर तक हो चुकी है जो भारत के समस्त 36 प्रदेशों की राजधानियों तक गई जहां गो ध्वज की स्थापना की गई। पर सुनवाई न होने से अब गौभक्तों की पीड़ा असहनीय हो गई है।

अतः अब सनातन धर्म के सभी गौभक्त सन्तों से चर्चा के उपरान्त यह निर्णय लिया गया है कि केंद्र सरकार को अंतिम अवसर प्रदान कर 17 मार्च 2025 तक प्रतीक्षा कर रहे है कि वह गौमाता को राष्ट्रमाता घोषित करने, गो हत्या बंद करने के कार्य को पूरा करे अन्यथा 20 नवंबर 2023 से 17 मार्च 2025 यानी लगभग ५०० दिन की प्रतीक्षा के बाद भी यदि केंद्र सरकार गौमाता पर हिंदू धर्म आस्था को गौण कर उदासीन बनी है रहेगी तो एक बड़ा निर्णय ‘ गो प्रतिष्ठा निर्णय दिवस ‘ के दिन लिया जाएगा जो गौमाता के हित में एक मील का पत्थर साबित होगा। आगामी 17 मार्च को दिल्ली के रामलीला मैदान में एक गौ-प्रतिष्ठा निर्णायक दिवस का आयोजन प्रातः 7 बजे से सायं 5 बजे तक किया जाएगा। इस एक दिवसीय आयोजन में हम स्वयं उपस्थित रहेंगे। यह केन्द्र सरकार के लिए अन्तिम अवसर होगा कि वह उस दिन गौमाता के सन्दर्भ में अपने विचार स्पष्ट रूप से प्रकट करे। भारत बहुसंख्यक हिन्दुओं का देश है इसलिए बहुसंख्यक हिन्दुओं की भावना का ध्यान रखना और तदनुकूल कार्य करना केन्द्र सरकार का दायित्व भी है।

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