-५ से १० घंटों की बिजली कटौती हो गई शुरू
सुरेश एस. डुग्गर
कश्मीर में इस बार समय पर बर्फबारी न होने का नतीजा सामने है। अभी भी दरियाओं में पानी कम है, जिस कारण बिजली का उतना उत्पादन नहीं हो पा रहा है, जितने की जरूरत है। ऐसे में आनेवाले दिनों में बिजली के साथ-साथ कश्मीरियों को पानी के संकट से भी जूझना होगा। यह चिंता सिर्फ कश्मीर के लोगों की ही नहीं है, बल्कि जम्मू संभाग भी इससे परेशान है।
केपीडीसीएल के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, कश्मीर में बिजली की मांग जो लगभग २००० मेगावाट है और उपलब्धता जो लगभग १,१०० मेगावाट के बीच उतार-चढ़ाव वाली है, के बीच का अंतर काफी बढ़ गया है। इसने उन्हें आपूर्ति स्थिर होने तक स्टाप-गैप उपाय के रूप में लोड-शेडिंग शेड्यूल को संशोधित करने के लिए मजबूर किया है। यह अंतर कभी पूरा हो पाएगा इसके प्रति वे चुप्पी साध लेते थे।
अधिकारी बताते थे कि ८०० मेगावाट से अधिक की बढ़ती मांग उपलब्धता असमानता ने हमारे हाथ बांध दिए हैं। एक अधिकारी ने कहा कि हमें संकटपूर्ण कटौती के बजाय समान बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए कटौती के घंटे बढ़ाने होंगे। बिजली कटौती के घंटों को संशोधित करने का निर्णय कश्मीर में १९ इलेक्ट्रिक डिविजनों और छह एसटीडी के प्रमुखों के साथ परामर्श करने के बाद लिया गया था, जहां ग्रिड से बिजली की खपत और प्रत्येक डिविजन की मांग पर विस्तृत चर्चा हुई थी। अधिकारी ने कहा कि आवंटित १,१०० मेगावाट में से आधे से अधिक को अस्पतालों, औद्योगिक क्षेत्रों और प्रमुख प्रतिष्ठानों के लिए आवश्यक फीडरों में भेज दिया गया है। बहुत अधिक आवश्यकता के मुकाबले घरेलू उपयोग के लिए केवल ५५० मेगावाट ही शेष है।
वर्तमान में कश्मीर में गैर-मीटर वाले शहरी क्षेत्रों में ८ घंटे और ग्रामीण क्षेत्रों में १० घंटे की कटौती निर्धारित है। मीटर वाले क्षेत्रों में ४.५ घंटे की कटौती का सामना करना पड़ता है। संशोधित कार्यक्रम अब इन कटौती के घंटों को और बढ़ा देगा।
अधिकारी कहते थे कि हम अघोषित बिजली व्यवधानों के कारण जनता की परेशानी नहीं चाहते हैं। केपीडीसीएल के एक अधिकारी ने कहा कि संशोधित लोड शेडिंग शेड्यूल तब तक प्रभावी रहेगा जब तक कि उत्पादन में सुधार नहीं हो जाता और हम मांग आपूर्ति के अंतर को पाट नहीं देते। निगम ने अपने सोशल मीडिया पर एक एडवाइजरी भी जारी की है, जिसमें उपभोक्ताओं से अनुरोध किया गया है कि वे पीक आवर्स के दौरान बिजली का विवेकपूर्ण उपयोग करें और स्वीकृत बिजली भार से अधिक लोड करने से बचें।
जम्मू संभाग में भी हालांकि घोषित बिजली कटौती नहीं है, पर सप्ताहंत में बिजली ढांचे की मरम्मत के नाम पर एक साथ १५ से २० घंटों का कट जरूर किया जा रहा है। जम्मू संभाग की जनता को भी लग रहा है कि मौसम की बेरुखी का सामना उन्हें इन गर्मियों में करना पड़ सकता है जब अधिकारी बिजली की कमी की संभावानाओं से इंकार नहीं करते थे।