सामना संवाददाता / नई दिल्ली
शंभू बॉर्डर पर सोमवार को भी किसान नेता दिनभर बैठक कर रणनीति बनाने में जुटे थे। जहां किसान संगठनों ने हुंकार भरते हुए कहा कि आज के इस कूच में सभी तैयार रहें। किसान नेताओं ने मंच से सरकार की किसानों के प्रति कार्यप्रणाली को लेकर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि छह मार्च को शंभू और खन्नौरी बॉर्डर पर तो पक्का मोर्चा लगा रहेगा, मगर अन्य राज्यों से हजारों की संख्या में किसान दिल्ली के लिए कूच करेंगे। उन्होंने कहा कि आंदोलन के संबंध में संयुक्त किसान मोर्चा से सहमति बनी है, जिसे जल्द ही मोर्चा पदाधिकारियों संग बैठक कर अंतिम रूप दिया जाएगा। दूसरी ओर किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने चुनाव न लड़ने की शर्त मानने से इंकार कर दिया है। ऐसे में उन्हें फिलहाल आंदोलन में शामिल नहीं किया गया है। हालांकि, उन्होंने बाहर से समर्थन देने की बात कही है। इस संबंध में भाकियू चढूनी गुट के किसानों की पांच मार्च को प्रदेश स्तरीय बैठक कुरुक्षेत्र में होनी है, जिसमें आगामी रणनीति पर चर्चा की जाएगी।
बता दें कि इसके तहत संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) और भारतीय किसान-मजदूर संघर्ष कमेटी की ओर से इस आंदोलन में समर्थन दे रही सभी जत्थेदारों से अपील की गई है कि बॉर्डरों पर किसानों की गिनती को बढ़ाया जाए। इसके लिए जत्थेदारों के नुमाइंदे अपने स्तर पर गांव-गांव जाकर किसानों को बड़ी गिनती में ट्रैक्टर-ट्रॉलियों के साथ बॉर्डरों पर पहुंचने को प्रेरित करें। सोमवार को शंभू बॉर्डर पर मंच से लगातार किसान नेताओं के भाषण होते रहे, जिसमें किसानों को मांगों के हल के लिए लड़ाई लड़ने के लिए किसानों में जोश भरा गया। बीते दो-तीन दिनों तक मौसम लगातार खराब रहने के बावजूद किसानों में जोश कम नहीं था। किसान नेता ने कहा कि जिस तरह से किसान अगुओं सरवन सिंह पंढेर व जगजीत सिंह डल्लेवाल ने एलान किया है कि शंभू व खन्नौरी की तरह और बॉर्डरों पर भी पक्के किसानी मोर्चे लगाए जाएंगे। ऐसे में आने वाले समय में और बॉर्डरों को घेरने के लिए ज्यादा से ज्यादा ट्रैक्टर-ट्रॉलियों की जरूरत पड़ती है।
किसान नेताओं ने फूट की बात नकारी
शहीद किसान शुभकरण की अंतिम अरदास में मंच से उतरने वाले किसान नेताओं पर कुछ लोगों ने फूट के आरोप लगाए थे, जिसका किसान नेताओं ने सोमवार को खंडन किया। मीडिया प्रभारी महेश ने कहा कि किसान नेताओं में किसी तरह का मतभेद नहीं है और सभी किसानों के हित एक हैं, इसलिए आंदोलन को एकजुटता और मजबूती से आगे बढ़ाया जाएगा।