मुख्यपृष्ठग्लैमरइसका हो-हल्ला हमें नहीं करना चाहिए!-यामी गौतम

इसका हो-हल्ला हमें नहीं करना चाहिए!-यामी गौतम

हालिया रिलीज फिल्म ‘आर्टिकल ३७०’ में निभाए गए अपने बेहतरीन किरदार के लिए जहां फिल्म की हीरोइन यामी गौतम की हर तरफ तारीफ हो रही है, वहीं फिल्म के निर्देशक आदित्य धर के साथ उन्होंने २०२१ में विवाह कर लिया था। फिल्म ‘उरी- द सर्जिकल स्ट्राइक’ की शूटिंग के दौरान आदित्य धर के प्यार में गिरफ्तार होनेवाली यामी आज ५ महीने की गर्भवती हैं। पेश है, यामी गौतम से पूजा सामंत की हुई बातचीत के प्रमुख अंश-
-पिछले सप्ताह रिलीज हुई आपकी फिल्म ‘आर्टिकल ३७०’ को बेहतर रिस्पॉन्स मिला। फिल्म की सफलता की आपको कितनी उम्मीद थी?
मैं और आदित्य अपना काम करते जा रहे हैं। बिना कोई उम्मीद किए काम करना हमेशा अच्छा होता है। रियलिस्टिक फिल्में बनाना आदित्य के डीएनए में है। वे खुद कश्मीर के हैं, जिससे वहां के अवाम की समस्याएं, त्रासदी सब कुछ जानते और समझते हैं। उनकी डेब्यू फिल्म ‘उरी- द सर्जिकल स्ट्राइक’ इसकी मिसाल है। जब वो समाज के सामने सच्ची और ऐतिहासिक तथ्यों को उजागर करनेवाली फिल्में रखते हैं और दर्शक जब उन्हें स्वीकारता है तो उन खुशियों की कोई सीमा नहीं होती। वैसे, आज का ऑडियंस काफी स्मार्ट है और उनकी पसंद बदल रही है।
– इस फिल्म का ऑफर आपको घर बैठे ही मिल गया होगा?
जीनियस डायरेक्टर के साथ ही आदित्य एक बुद्धिमान और समझदार इंसान हैं। इस बात को वे बखूबी समझते हैं कि कलाकार के सम्मान को कैसे मेंटेन रखा जाए। मैं उनकी पत्नी अवश्य हूं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि उन्होंने घर बैठे मुझे इस फिल्म के लिए पूछ लिया। उन्होंने बाकायदा मुझे स्क्रिप्ट पढ़ने को दी, किरदार के बारे में डिस्कशन किया और जानना चाहा कि क्या मैं इस किरदार को करने के लिए उत्सुक हूं? जब मैंने कहा कि मैं इस किरदार को जरूर करना चाहूंगी तो उन्होंने मुझे इस फिल्म के लिए साइन किया जैसा आमतौर पर मेकर्स अपनी फिल्म में कलाकारों को साइन करते हैं।
-कहानी और किरदार के बारे आप क्या कहना चाहेंगी?
कश्मीर हमारे देश का गुरूर है और जब इस गुरूर को कोई ठेस पहुंचाता है तो हम सभी देशवासियों का दिल घायल हो जाता है। ‘आर्टिकल ३७०’ की कहानी रोमांच खड़े करती है। मेरा किरदार आम किरदारों से परे है। ऐसा किरदार मैंने आज तक नहीं किया और आगे करने की भी संभावना नहीं है।
– सुना है, आपको आर्मी वालों से काफी मदद मिली?
हर दिन कम से कम दो घंटों की ट्रेनिंग की। ट्रेनिंग के लिए मिलिट्री एडवाइजर केशवेंद्र सिंह का योगदान बहुत कमाल का था। वेपन की ट्रेनिंग मुंबई में भूषण वर्तक ने दी। वेपन की ट्रेनिंग लेने से पहले हमें यह सिखाया गया कि अपने वेपन का आदर करना चाहिए, उसे जमीन पर नहीं रखना चाहिए। यह बात मेरे दिल को छू गई।
– कश्मीर में शूटिंग का अनुभव कैसा रहा?
आदित्य कश्मीरी पंडित हैं और वे कश्मीर का चप्पा-चप्पा जानते हैं। वहां के कंडीशन से भली-भांति परिचित हैं। उन्होंने कश्मीर के ग्राम देवताओं के मंदिरों के दर्शन कराए। एक भवानी माता मंदिर भी है। वहां जो वॉटर फॉल है शायद उसका नाम सियारी है, वो पानी इतना मीठा और शुद्ध है कि आप कुछ भी खाएं सब कुछ हजम करने की शक्ति इस नैचरल वॉटर में है।
– मां बनने के बाद क्या अभिनय को आप बैक सीट पर रखेंगी?
दिसंबर २०२३ में फिल्म की शूटिंग लगभग खत्म हो गई और जनवरी २०२४ से पोस्ट प्रोडक्शन शुरू हुआ। अभी मुझे ५ महीने पूरे हो चुके हैं और मैं फिल्म के पोस्ट प्रोडक्शन में हिस्सा ले रही हूं। मीडिया को इंटरव्यूज दे रही हूं। बच्चे को जन्म देने के बाद अगर मां काम करना चाहती है तो जरूर कर सकती है। मुझे भी एक प्रपोजल आया है जिन्हें मेरे प्रेग्नेंट होने पर एतराज नहीं है और वे शूटिंग मेरे प्रेग्नेंसी के दौरान ही शुरू कर चुके हैं। दर्शक भी समझदार हो चुके हैं, वे समझते हैं कि हर कलाकार की अपनी एक जिंदगी है और अभिनेत्रियां शादी के बाद मां बन सकती हैं। यह बहुत कॉमन सी बात है, इसका हो-हल्ला हमें नहीं करना चाहिए।
-अपनी जर्नी को आप कैसे देखती हैं?
हिंदी फिल्मों की जर्नी मैंने २०१२ में फिल्म ‘विकी डोनर’ से की थी। यह फिल्म सफल रही। मैं अपने करियर पर इसलिए संतुष्ट हूं, क्योंकि मैंने कभी कोई कॉम्प्रोमाइज नहीं किया। अपनी शर्तों पर काम करते हुए अपनी डिग्निटी बनाए रखी।
-जब एक निर्देशक पति बन जाए तो कितना आसान होता है उनके साथ काम करना?
आदित्य महिलाओं की इज्जत और सम्मान करना जानते है। अपनी मां से उन्होंने बहुत कुछ सीखा है। वो मुझे पूरे रिस्पेक्ट के साथ ट्रीट करते हैं, जैसे सभी के साथ पेश आते हैं। हमारी फिल्मों के सेट पर हम प्रोफेशनल होते हैं, पति-पत्नी नहीं!

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