लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने गुरुवार को कहा कि पेपर लीक एक ‘व्यवस्थागत विफलता’ है और यह तभी समाप्त होगा जब सभी राजनीतिक दल और सरकारें अपने मतभेदों को भूलकर संयुक्त कदम उठाएंगी। उन्होंने यह भी दावा किया कि पेपर लीक के कारण छह राज्यों के ८५ लाख बच्चों का भविष्य खतरे में है। एक समाचार रिपोर्ट का हवाला देते हुए राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘छह राज्यों में ८५ लाख बच्चों का भविष्य खतरे में है, पेपर लीक हमारे युवाओं के लिए सबसे खतरनाक ‘चक्रवात’ बन गया है। पेपर लीक होने से कड़ी मेहनत करने वाले छात्र और उनके परिवार अनिश्चितता और तनाव में आ जाते हैं तथा उनसे उनकी मेहनत का फल छिन जाता है। इसके अलावा, यह अगली पीढ़ी को गलत संदेश देता है कि कड़ी मेहनत की तुलना में बेईमानी बेहतर हो सकती है।
उन्होंने कहा कि अभी एक साल भी नहीं बीता है जब नीट पेपर लीक ने देश को हिलाकर रख दिया था। उन्होंने कहा कि हमारे विरोध के बाद नरेंद्र मोदी सरकार नए कानून के पीछे छिप गई और इसे समाधान बताया, लेकिन हाल ही में हुए कई लीक ने भी उसे विफल साबित कर दिया है। पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, `यह गंभीर समस्या एक प्रणालीगत विफलता है।’ यह तभी समाप्त हो सकता है जब सभी राजनीतिक दल और सरकारें अपने मतभेदों को भूलकर एक साथ कड़ी कार्रवाई करें। इन परीक्षाओं की गरिमा बनाए रखना हमारे बच्चों का अधिकार है और इसे हर कीमत पर संरक्षित किया जाना चाहिए।