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फिर निकला सिंचाई घोटाले का `जिन्न’ …दादा ने खुद उखाड़े गड़े मुर्दे … सवालों के घेरे में भाजपा

रामदिनेश यादव / मुंबई
लोकसभा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान राज्य में ७० हजार करोड़ रुपए के सिंचाई घोटाले की चर्चा जोरों पर थी। सांगली जिले के तासगांव विधानसभा क्षेत्र की एक प्रचार सभा में बोलते हुए अजीत पवार ने इस घोटाले पर अपनी राय रखी। उन्होंने बताया कि इस प्रोजेक्ट का कुल खर्च ४३ हजार करोड़ था, तो फिर ७० हजार करोड़ का आरोप वैâसे आया? अब वे खुद को यह साबित करने में जुटे हैं कि मुझ पर ७० हजार करोड़ घोटाले का आरोप नहीं, बल्कि ४३ हजार करोड़ रुपए के घोटाले का आरोप लगना चाहिए था। उन्होंने कहीं यह नहीं कहा कि मैं उस घोटाले में शामिल नहीं था, बल्कि यह कह रहे हैं कि वह ७० हजार नहीं ४३ हजार करोड़ का मामला था। अजीत पवार ने खुद सभा में कहा कि सिर्फ मुझे बदनाम करने के लिए ७० हजार करोड़ रुपए के सिंचाई घोटाले का आरोप लगाया गया। जबकि कुल खर्च का मामला ही ४३ हजार करोड़ का था, तो ७० हजार करोड़ का घोटाला वैâसे हो सकता है? लेकिन इतनी बड़ी राशि होने से मेरी बदनामी हो गई। बाद में जांच के लिए एक फाइल तैयार की गई, जो गृह विभाग के पास गई। आर. आर. पाटील उस समय गृह मंत्री थे और उन्होंने मेरी खुली जांच कराने के लिए उस फाइल पर हस्ताक्षर किए। राजनीतिक खेल चलते रहे और जब हमने पृथ्वीराज चव्हाण की सरकार से समर्थन वापस ले लिया, तो सरकार गिर गई और राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया।
अजीत पवार पर सिंचाई घोटाले को लेकर, तब भाजपा ने बड़े-बड़े दावे किए थे। यह ७० हजार करोड़ का आंकड़ा भाजपा ने ही दिया था। उस दौरान विधान परिषद में विपक्ष नेता रहे विनोद तावड़े और देवेंद्र फडणवीस बैलगाड़ी पर ७० हजार करोड़ के घोटाले का दस्तावेज लेकर ईडी और सीबीआई कार्यालय देने पहुंचे थे। खुद पीएम मोदी ने भी इससे पहले इस मुद्दे को उठाया था, एक सभा में कहा था कि ७० हजार करोड़ खाने वाले अब जेल में चक्की पीसेंगे। अब सवाल यह है कि अजीत पवार को महायुति में साथ आने के बाद खुद भाजपा ने ही उस ७० हजार करोड़ के घोटाले को दफन कर दिया था, नाम तक नहीं लिया। कार्रवाई की तो बात ही दूर है।

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