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बच्ची को मिला सुनने की शक्ति का उपहार! … माहिरा के लिए कॉक्लियर इंप्लांट की सफलता

संदीप पांडेय / मुंबई
`बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ का असली अर्थ तब सामने आता है, जब हम ४.५ वर्षीय माहिरा की असाधारण यात्रा की बात करते हैं। माहिरा, जो मेनिन्जाइटिस की गंभीर स्थिति से जूझ रही थी, लंबे समय तक बेहोश रही। जब वह होश में आई तो `बाइलेट्रल ऑसिफाइड कॉक्लिया’ की वजह से उसकी दोनों कानों से सुनने की क्षमता पूरी तरह खत्म हो चुकी थी। इस स्थिति ने उसके परिवार को गहरे संकट में डाल दिया। श्रवणयंत्र लगाने से भी कोई फायदा नहीं हो रहा था।
माहिरा के पिता शाह मोहम्मद अली अपनी बेटी की इस स्थिति से बेहद दुखी थे। उन्होंने कई डॉक्टरों से परामर्श लिया, लेकिन उन्हें कोई समाधान नहीं मिल रहा था। इस दौरान उन्हें कुछ प्रतिष्ठित डॉक्टरों ने मुंबई के कुर्ला (पश्चिम) स्थित क्रिटीकेयर एशिया हॉस्पिटल के ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. संजय हेलाले का रेफरेंस दिया। डॉ. हेलाले, जो कॉक्लियर इंप्लांट विशेषज्ञ के रूप में जाने जाते हैं, उन्होंने इस चुनौतीपूर्ण स्थिति को स्वीकार किया। उन्होंने माहिरा के माता-पिता को इस प्रक्रिया के महत्व और संभावित लाभों के बारे में समझाया। दोनों कानों में कॉक्लियर इंप्लांट का खर्च आमतौर पर २० से ३० लाख रुपए तक आता है, जो पैâजान जैसे मध्यम वर्गीय परिवार के लिए एक बड़ा वित्तीय बोझ था, लेकिन डॉ. हेलाले ने उनकी चिंता को समझते हुए इस प्रक्रिया को न्यूनतम खर्च में बदलने के लिए आरएमएमएमआरटी ट्रस्ट के जरिए श्रव्या कॉक्लियर इंप्लांट प्रोग्राम की मदद लेते हुए माहिरा के दोनों कानों में सफलतापूर्वक कॉक्लियर इंप्लांट ऑपरेशन किया। माहिरा की सर्जरी सफल रही और उसने धीरे-धीरे अपनी सुनने की क्षमता वापस पा ली। यह उसके परिवार के लिए किसी चमत्कार से कम नहीं था। माहिरा की आवाज सुनकर उसके माता-पिता की आंखों से खुशी के आंसू छलक आए। यह सफलता डॉ. हेलाले और उनकी टीम के लिए भी एक महत्वपूर्ण उपलब्धि थी। डॉ. हेलाले ने अपनी सफलता का श्रेय अपने गुरु स्वामी हरि चैतन्य पुरी जी महाराज को दिया, जिन्होंने उन्हें इस क्षेत्र में काम करने की प्रेरणा दी। उनके अनुसार, `सुनने की क्षमता का उपहार किसी भी बच्चे के लिए सबसे बड़ी संपत्ति है।’
माहिरा की इस यात्रा ने यह साबित कर दिया कि सही समय पर सही इलाज से जीवन में चमत्कार हो सकते हैं। अब माहिरा न केवल सुन सकती है, बल्कि अपनी उम्र के अन्य बच्चों की तरह सामान्य जीवन जीने के लिए तैयार है। यह कहानी उन सभी माता-पिता के लिए प्रेरणा है, जो अपने बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए संघर्ष कर रहे हैं। माहिरा का साहस, उसके माता-पिता का धैर्य और डॉ. हेलाले की विशेषज्ञता ने मिलकर सफलता की एक नई कहानी लिखी है और उम्मीद तथा संभावनाओं की मिशाल कायम कर दी।

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