उमेश गुप्ता / वाराणसी
24 मार्च से 27 मार्च 2025 तक चलने वाले 108 कुण्डीय शक्ति संवर्द्धन गायत्री महायज्ञ में बुधवार को सुबह 5 बजे शांतिकुंज प्रतिनिधियों के मार्गदर्शन में उत्तम स्वास्थ्य एवं निरोग काया हेतु योग, ध्यान एवं प्राणायाम किया गया। सुबह 9 बजे से विविध संस्कार से संबंधित कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। गायत्री तीर्थ शांतिकुंज हरिद्वार से आई टोली के नायक एवं वरिष्ठ कार्यकर्ता संध्या तिवारी, ममता मंजरी एवं विभा महतो 356 लोगों को दीक्षा संस्कार से संस्कारित कर युग ऋषि से जोड़ा। इसी कड़ी में 60 बच्चों का विद्यारम्भ संस्कार एवं 32 गर्भवती महिलाओं का पुंसवन संस्कार से संस्कारित कर बलवान, बुद्धिमान एवं सद्चरित्र संतान के जन्म की कामना किया। जिला युवा समन्वयक विद्याधर मिश्र के संयोजन में सैकड़ों युवाओं ने भविष्य में नशा न करने का संकल्प लिया। इसी कड़ी में समापन सत्र की पूर्व संध्या पर नारी जागरण दीप महायज्ञ का भव्य आयोजन हुआ। गायत्री तीर्थ शांतिकुंज हरिद्वार से आईं अखिल विश्व महिला मंडल प्रमुख शेफाली पंड्या के दिशा निर्देशन में भव्य दीप महायज्ञ का आयोजन संपन्न हुआ। शेफाली पंड्या के प्रथम काशी आगमन पर पंडित गंगाधर उपाध्याय ने पुष्प गुच्छ देकर स्वागत किया तो गायत्री साधकों ने महामृत्युंजय महामंत्र के सस्वर उच्चारण एवं करतल ध्वनियों से स्वागत किया। इस अवसर पर शेफाली पंड्या ने कहा कि नारियों के उत्थान के बिना देश के उत्थान की परिकल्पना सम्भव नहीं है। भारत ही एक ऐसा देश है, जहां कन्या पूजन का विधान है। बेटियों को नौ रूपों में पूजते हैं। एक सुशिक्षित, सुसंस्कारी एवं ओजस्वी बेटी अपने घर के साथ अपने ससुराल को भी सुशिक्षित, सुसंस्कारी एवं ओजस्वी बनाती है। अंत में 108 कुंडीय शक्ति संवर्द्धन गायत्री महायज्ञ का आयोजन हुआ। शांतिकुंज प्रतिनिधियों ने ने सस्वर वैदिक मंत्रोच्चार के बीच 108 कुंडों पर बैठे 108 दंपतियों से अग्नि कुण्ड का पूजन कराया। टोली नायक संध्या तिवारी ने अपने संबोधन में कहा कि संस्कार का हमारे जीवन में बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। आज संतानों के पथभ्रमित होने का मुख्य कारण जीवन में संस्कार का न होना है। प्राचीन काल में पुंसवन संस्कार एवं विद्यारंभ संस्कार संग अन्य संस्कारों का बहुत ही महत्व रहा है, जिसका प्रत्यक्ष उदाहरण अभिमन्यु संग अनेकों ऋषि महर्षि हैं। 108 कुण्डीय गायत्री शक्ति संवर्द्धन महायज्ञ में गायत्री महामंत्र, महामृत्युंजय महामंत्र, सूर्य गायत्री महामंत्र एवं अन्य वैदिक मंत्रों का सस्वर उच्चारण कर 108 कुंडों में छह पालियों में लगभग 5,000 हजार लोगों से आहुतियां समर्पित कराया। 108 कुण्डीय शक्ति संवर्द्धन गायत्री महायज्ञ को सफलतापूर्वक संपन्न कराने में गठित टोलियों के गायत्री साधकों संग उप जोन समन्वयक रामजीत पांडेय, जिला समन्वयक गंगाधर उपाध्याय एवं कार्यक्रम संयोजक द्वय विद्याधर मिश्र एवं जनार्दन पांडेय ने योगदान रहा। गायत्री तीर्थ शांतिकुंज हरिद्वार से आई टोली की शिवानी गढ़तिया, चम्पा सलाम ने भावपूर्ण भक्ति संगीत प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में विघ्नेश्वर महापात्रा एवं देवराज गुप्ता की उपस्थिति रही। 108 कुण्डीय शक्ति संवर्द्धन गायत्री महायज्ञ के समापन सत्र के मुख्य अतिथि अनिल राजभर, श्रम मंत्री उत्तर प्रदेश रहे। अतिथियों का स्वागत बनारसी प्रसाद, अरविंद श्रीवास्तव, डॉक्टर अभिषेक रामकृष्ण, अविनाश गुप्ता, अनिलेश तिवारी एवं ओमेश्वर सेपट ने किया।