हाल ही में रिलीज हुई फिल्म ‘करतम भुगतम’ में लीडिंग रोल निभा रहे श्रेयस तलपदे ‘वेलकम टू सज्जनपुर’, ‘पुष्पा’, ‘इकबाल’, ‘पोस्टर बॉयज’ जैसी फिल्मों में नजर आ चुके हैं। ‘पोस्टर बॉयज’ का निर्माण और निर्देशन करनेवाले श्रेयस पिछले वर्ष अचानक आए हार्ट अटैक से बाल-बाल बच गए। अपनी जिंदगी के प्रति शुक्रगुजार श्रेयस अपना ज्यादातर वक्त अपने परिवार को देना चाहते हैं। पेश है, श्रेयस तलपदे से पूजा सामंत की हुई बातचीत के प्रमुख अंश-
फिल्म ‘करतम भुगतम’ करने की क्या वजह रही?
एक मुद्दत से मुझे सही वक्त और सही स्क्रिप्ट का इंतजार था। जब ‘करतम भुगतम’ की स्क्रिप्ट मेरे पास आई तो कहानी के ट्विस्ट और टर्न ने मुझे रोमांचित कर दिया।
भविष्य को आप कितना मानते हैं?
मैं मानता हूं और नहीं भी। फिर भी मोटा-मोटी शब्दों में कहा जाए तो इंसान के कर्म अच्छे होने चाहिए। उसे अपना काम करते रहना चाहिए। आज बारिश होगी इस भविष्यवाणी को सुन अपने काम को न करना गलत होगा। वैसे भविष्यवाणियां अगर सच हो जाएं तो विश्वास हो जाता है।
फिल्म इंडस्ट्री में अंधविश्वासियों की तादाद काफी है, इस मुद्दे पर आप क्या कहना चाहते हैं?
विश्वास और अंधविश्वास के बीच एक महीन सी रेखा है। ईश्वर पर विश्वास होना और ज्योतिषी पर विश्वास करने में फर्क तो है ही। हां, फिल्म इंडस्ट्री ही नहीं नॉर्मल लोग भी कई तरह से विश्वास करते हैं। मुझे याद है मेरी फिल्म ‘इकबाल’ २००५ में रिलीज हुई थी। उसके बाद मैं कॉस्मिक एनर्जी के एक शो में गया था। उस शो में टैरो कार्ड रीडर सुनीता मेनन से मैंने और मेरी पत्नी दीप्ति ने पूछा, ‘हम मुंबई में अपना घर लेना चाहते हैं, क्या इस वर्ष घर ले पाएंगे?’ सुनीता ने कार्ड खोलकर जवाब दिया, ‘आप इस वर्ष घर नहीं ले सकेंगे और न ही अगले वर्ष ले सकेंगे। खुद का घर आप अगले के अगले वर्ष ले सकेंगे। मैं और दीप्ति निराश हो गए। फिर हमने कोशिश की और हमारा लोन पास हो गया। बुकिंग अमाउंट भी भर दिया, लेकिन २००६ में बिल्डर ने कहा, मेरा पार्टनर बदल गया है इसलिए पुराने रेट्स में मैं आपको फ्लैट नहीं दे सकता। यह सुनकर पैरों तले जमीन खिसक गई। हमने आवाज उठाई, लेकिन फायदा नहीं हुआ और वाकई में हम २००७ में ही घर ले पाए। हालांकि, जितने पैसे हमने भरे थे वो हमें वापस मिले पर २००५ में अपना घर नहीं ले सके। सुनीता मेनन का टैरो कार्ड रीडिंग सच साबित हुआ। कहने का तात्पर्य यह है कि कभी-कभी भविष्यवाणियां सच साबित हो जाती हैं। लेकिन इंसान को भविष्य पर बहुत ज्यादा निर्भर नहीं होना चाहिए, वरना वो अंधविश्वासी हो जाता है।
फिल्म ‘पोस्टर बॉयज’ के बाद निर्माण और निर्देशन से दूरियां बनाने की क्या वजह रही?
बतौर एक्टर फिल्मों में काफी व्यस्त रहा। मैंने मराठी टीवी शो ‘माझी तुझी रेशीमगाठ’ में लीड रोल किया। यह शो बेहद लोकप्रिय हुआ। जब भी मुझे मौका मिलेगा मैं प्रोडक्शन फिर से शुरू करूंगा। मैं निर्माता भी हूं इसलिए आनेवाले समय में मैं निर्माण-निर्देशन का प्रयास करूंगा।
कहीं ऐसा तो नहीं कि निर्देशक का चोला पहनने के बाद एक्टिंग की दुकान कम चलती है?
गिनती कम पड़ जाएगी अगर उन एक्टरों के नाम गिनवाएं जो खुद एक्टर हैं, लेकिन वो निर्माता बन गए। जॉन अब्राहम, अक्षय कुमार, शाहरुख खान, सलमान खान, आमिर खान, अनिल कपूर जैसे कई एक्टर निर्माता बने और इसमें अभिनेत्रियां भी पीछे नहीं हैं। अनुष्का शर्मा, आलिया भट्ट, सोनम कपूर, दीपिका पादुकोण जैसी कई अभिनेत्रियों ने फिल्म निर्माण में कदम रखा है। अब वो समय नहीं रहा जब एक्टर्स सिर्फ एक्टिंग करते थे।
आप डबिंग में भी माहिर हैं?
हां, मैं प्रोफेशनल लेवल पर भी डबिंग करता हूं। फिल्म ‘पुष्पा’ के लिए मैंने डबिंग की जिसकी तारीफ हुई, लेकिन हर काम के लिए वक्त चाहिए, जो दे नहीं सकता।