– १,८०० हेक्टेयर वन और ४ लाख पेड़ों की बलि तय
सामना संवाददाता / मुंबई
महाराष्ट्र में चार बड़े विकास प्रोजेक्ट्स को हरी झंडी मिलने के साथ ही राज्य के १,८०० हेक्टेयर वन क्षेत्र और लगभग ४ लाख पेड़ों की बलि तय हो गई है। इन परियोजनाओं में एक बांध, दो खनन परियोजनाएं और एक बिजली लाइन के लिए सड़क निर्माण शामिल हैं, जिनका सीधा असर संरक्षित वन्यजीव आवासों और जैव विविधता पर पड़ने वाला है।
एक रिपोर्ट के अनुसार, इन सभी परियोजनाओं को हाल ही में राज्य वन्यजीव बोर्ड (एसबीडब्ल्यूएल) ने एक बैठक में मंजूरी दी है, जिसकी अध्यक्षता स्वयं राज्य के उप मुख्यमंत्री ने की। ये प्रस्ताव अब अंतिम स्वीकृति के लिए राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड को भेजे जाएंगे।
सबसे बड़ा प्रोजेक्ट गारगाई बांध है, जो मुंबई को प्रतिदिन ४५० मिलियन लीटर पानी देगा। लेकिन इसकी कीमत ठाणे और पालघर जिलों में ८४५ हेक्टेयर वन भूमि और तीन लाख से अधिक पेड़ों के रूप में चुकाई जाएगी। तानसा वन्यजीव अभयारण्य, जो वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की अनुसूची-१ में आता है, इसका बड़ा शिकार बनेगा। साथ ही छह गांवों को विस्थापित भी किया जाएगा।
बाकी तीन परियोजनाएं गढ़चिरौली और यवतमाल जिलों में स्थित हैं। एक खनन परियोजना ताडोबा-अंधारी और इंद्रावती टाइगर कॉरिडोर को काटेगी, जिससे लगभग १.२३ लाख पेड़ कटेंगे। वहीं बिजली लाइन की मरम्मत के लिए बनने वाली सड़क २०.५७ हेक्टेयर जंगल और ५,१७८ पेड़ों की बलि लेगी। यवतमाल की एक अन्य खनन परियोजना, जो कई अभयारण्यों को प्रभावित कर रही है, जिसके लिए १४६ हेक्टेयर वन भूमि आवंटित की गई है। हालांकि वहां काटे जाने वाले पेड़ों की संख्या अब तक स्पष्ट नहीं है।
टपकते नल को बंद करके बाढ़ रोकने की कोशिश
विडंबना देखिए कि जब इन प्रोजेक्ट्स को मंजूरी दी जा रही थी, उसी समय राज्य के वन मंत्री नई मुंबई के एक छोटे से वेटलैंड को बचाने की मिसाल पेश कर रहे थे-जैसे जंगल के उजड़ते पहाड़ों के बीच एक टपकते नल को बंद कर के बाढ़ रोकी जा सकती हो।