अनिल मिश्रा / शहाड
शहाड से सी ब्लाक मार्ग पर रेलवे की दिवाल के किनारे बनाये गए पदचारी पथ पर मनपा प्रशासन के सार्वजनिक बांधकाम विभाग ने बिना सोचे-समझे स्थानीय नगरसेवक के दबाव में एक शौचालय का निर्माण कार्य शुरू किया था। बन रहे शौचालय के सामने ही एक धार्मिक स्थल भी था। इस बात को लेकर मामला न्यायालय तक पहुंच गया। न्यायालय के आदेश पर निर्माण कार्य को रुकावट (स्थगन) मिला। इसके बावजूद लोग लघुशंका करते थे। कचरा फेंका करते थे। उस विवादित शौचालय को आज मनपा के द्वारा जेसीबी मशीन से तोड़ा दिया गया।
बता दें कि उल्हासनगर में कई ऐसे मामले हैं, जो नगरसेवक के दबाव में मनपा के अधिकारियों पर दबाव लाकर करते रहे हैं। लाचार अधिकारी नगरसेवक के दबाव में गलत कार्य को भी सहमति देते हुए जनता के पैसे का दुरुपयोग किया करते थे। उसी तरह के मामले की मिशाल शहाड का यह विवादित शौचालय भी साबित हुआ है। बिना सोचे-समझे मंदिर के सामने शौचालय बनाया जा रहा था। विरोध के बाद रुक गया। निर्माण व न्यायालय की लडाई में काफी मनपा के पैसे बर्बाद हुए। अंत में मनपा न गंदगी, किसी भी तरह की पुणे में भंगार बस में घटी अप्रिय घटना जैसी स्थिति पैदा न हो जाय। इस तरह की आशंका का हवाला देते हुए गुरुवार को विवादित शौचालय को जेसीबी से तोड़ दिया गया। इस कार्य से मनपा के सफाई अभियान को बल मिलेगा। परिसर साफ-सुथरा दिखाई देगा। दुर्गंध व नारकीय वातावरण से स्थानीय नागरिकों को राहत मिलेगी। इस शौचालय को तोड़ने को लेकर `दोपहर का सामना’ के पाठक ने भी “संपादक के नाम पत्र” इस कालम से समस्या को उठाया था, जिसे संज्ञान में लेकर मनपा प्रशासन द्वारा कार्रवाई की गई।