मनमोहन सिंह
जुलाई के महीने में उत्तर प्रदेश के हाथरस में एक तथाकथित बाबा के चरणों की धूल लेने की भगदड़ में सैकड़ों जिंदगियां खत्म हो गर्इं। इस हादसे को तकरीबन ढाई महीने पूरे होने को है। इस हादसे के चर्चा की वजह एक वीडियो का दिख जाना है! वीडियो नारायण साकार हरि उर्फ ‘भोले बाबा’ की एक अंधभक्तन का है! उसमें वह जो कह रही है उसका लब्बोलुआब यह है कि उसे इस बात का अफसोस है कि उस भगदड़ में उसकी जान क्यों नहीं गई! क्योंकि वहां पर जो भी मरे वह सभी स्वर्ग पहुंच गए, जिसमें उसके अपने रिश्तेदार भी हैं और उसका अपना खून भी!
उसे हादसे के बाद वहां पर ऐसी कई अंधभक्तन घूम रही थीं, जिन्होंने उसे तथाकथित बाबा को अपना पति मान लिया था! ग्वालियर से ‘सत्य का साथ’ सत्संग में हिस्सा लेने आई सपना ओझा का कहना था कि वह नारायण साकार हरि को अपने मन यानी आत्मा का पति मानती हैं। वो ही उनके लिए सबकुछ हैं। हालांकि, वह भोले बाबा से कभी मिली नहीं थी, लेकिन बकौल सपना, ‘वो उनके आत्मा के पति हैं। वो मेरे प्राण नाथ हैं। मेरे नारायण साकार हरि का नाम लेते ही मेरी सारी समस्याएं दूर हो जाती हैं। जब भी मैं मन से उन्हें याद करती हूं तो वो मुझे साक्षात दर्शन देते हैं।’ एक अन्य भक्तन ने तो दावा कर दिया था, ‘ये मेरे नहीं सारे जग के पति की फोटो हैं। जिन परामात्मा का नूर हम सबमें है।’
आस्था की पराकाष्ठा देखिए। एक महिला भक्त से यह पूछने पर कि भगदड़ में अपने भक्तों की जान क्यों बाबा नहीं बचा पाए? जवाब था,’ जो लोग मारे गए सबका अंत समय आ गया था, लेकिन लाखों की भीड़ में लोग जिंदा बाबा की कृपा से बचे भी तो।’
अंध भक्तों की जुबानी से तो यही लगता है कि तथाकथित बाबा अवतारी पुरुष हैं और उनकी नजर में दुनिया की हर समस्या का समाधान करनेवाली दिव्यात्मा हैं। फुलरई आश्रम में बाबा की चरण रज माथे से लगाकर हर रोग का निदान होने की भ्रामक सोच इसी दिमागबंदी का नतीजा है। इस सोच की शून्यता का उदाहरण सुने, ‘बीमारी का इलाज तो डॉक्टर करते हैं, लेकिन डॉक्टर का दिमाग भोले बाबा ही नियंत्रित करते हैं।’ सच तो यह है कि इन अंधभक्तों के आस्था और विश्वास के आगे सारी दलीलें निरर्थक हैं।
विडंबना देखिए कि आजादी के ७८ साल में देश में साक्षरता की दर १२ फीसदी से बढ़कर जरूर ७६.३२ फीसदी हो गई है, लेकिन लगभग उसी अनुपात में समाज में अंधभक्ति और अवैज्ञानिक सोच भी बढ़ी है। हालांकि, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे राज्यसभा में केंद्र सरकार के फर्जी बाबाओं पर अंकुश लगाने के लिए कानून बनाने की मांग कर चुके हैं, लेकिन सरकार इस बात को लेकर गंभीर है, ऐसा कहीं दिखाई नहीं पड़ता!
अंधविश्वास, कुप्रथा और बुराई से लड़नेवाले सच्चे संतों के साथ ऐसा नहीं कि देश ऐसे ढोंगी बाबा पहले नहीं रहे हैं, लेकिन पिछले कुछ सालों में इनकी संख्या कुकुरमुत्तों के माफिक बढ़ी है। राजनीतिक के छद्म धर्म के नाम पर दिमाग को कुंद करनेवाले माहौल में अब एक मुनाफे का धंधा बन चुका है, जिसका फायदा सियासी तौर पर भी उठाया जा रहा है!
धरम के नाम पर
– २ जुलाई २०२४: उत्तर प्रदेश के हाथरस में एक धार्मिक जुटान के दौरान १२० से ज्यादा लोगों की मौत और कई घायल।
– ३१ मार्च २०२३: इंदौर में रामनवमी के हवन के दौरान एक प्राचीन बावड़ी की छत गिरने से कम से कम तीन दर्जन लोगों की मौत।
– १ जनवरी २०२२: जम्मू के वैष्णो देवी तीर्थ में भगदड़ से कम से कम १२ लोगों की मौत। और एक दर्जन से ज्यादा घायल
– १४ जुलाई २०१५: आंध्र प्रदेश के राजामुंदरी में पुष्करम महोत्सव के दौरान गोदावरी नदी के तट पर भगदड़ में २७ लोगों की मौत और २० घायल।
– ३ अक्टूबर २०१४: पटना के गांधी मैदान में दशहरा उत्सव के दौरान भगदड़ में ३२ लोगों की मौत और २६ घायल।
– १३ अक्टूबर २०१३: मध्य प्रदेश के दतिया जिले में नवरात्रि उत्सव के दौरान रतनगढ़ के मंदिर में हुई भगदड़ में ११५ लोगों की मौत और १०० से ज्यादा घायल।
– ८ नवंबर २०११: हरिद्वार में हर की पौड़ी में भगदड़ में कम से कम २० लोगों की मौत।
– १४ जनवरी २०११: केरल के इडुक्की जिले स्थित पुलमेडु में भगदड़ के कारण सबरीमाला मंदिर के कम से कम १०४ दर्शनार्थियों की मौत और ४० से ज्यादा घायल।
– ४ मार्च २०१०: उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में कृपालु महाराज के राम जानकी मंदिर में मुफ्त भोजन और कपड़े लेने के दौरान हुई भगदड़ में ६३ लोगों की मौत।
– ३० सितंबर २००८: राजस्थान के जोधपुर स्थित चामुंडा मंदिर में बम धमाके की अफवाह के कारण हुई भगदड़ में २६० लोगों की मौत और ६० से ज्यादा घायल।
– ३ अगस्त २००८: हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले के नैना देवी मंदिर में पत्थर गिरने की अफवाह के बाद हुई भगदड़ में १६२ लोगों की मौत और ४७ घायल।
– २५ जनवरी २००५: महाराष्ट्र के सातारा में मंधार देवी मंदिर में फिसलनदार सीढ़ी पर कुछ दर्शनार्थियों के गिरने से हुई भगदड़ में ३४० लोगों की मौत और सैकड़ों घायल।
– २७ अगस्त २००३: महाराष्ट्र के नासिक में कुंभ मेले के दौरान हुई भगदड़ में ३९ लोगों की मौत और १५० के आसपास घायल।