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`डंकी रूट’ का दर्द : हर ३ में से १ का होता है रेप-ट्रंप

‘मेक्सिको से होकर जानेवाले खतरनाक रास्ते पर तीन में से एक महिला का यौन उत्पीड़न होता है…’
यह वाक्य दुनिया के सबसे बड़े असरदार देश के मुखिया के हैं। अमेरिका के प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रंप के मुंह से निकली एक बात रूह कंपकंपा देनेवाली है। इल्लीगल तरीके से दीवार पार कर अमेरिका में प्रवेश करनेवाले प्रवासी महिलाओं के खतरों को लेकर उन्होंने कहा था।
ट्रंप की बातों में सच्चाई है इसलिए नहीं कि यह बात अमेरिका के राष्ट्रपति ने कही है, बल्कि इसलिए क्योंकि इस बात के सबूत हैं, जो कुछ कमेटियों के सर्वे से सामने आई है।
जिनमें से एक डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स द्वारा मेक्सिको से होकर यात्रा यानी (डंकी रूट) करनेवाली महिलाओं पर किया गया था।
अक्सर माना यह जाता है कि प्रवासी महिलाओं के साथ होने वाली हिंसा सिर्फ मेक्सिको की डंकी रूट के दौरान ही नहीं होती है, लेकिन कड़वी हकीकत यह है कि अधिकतर हिंसा तब होती है, जब महिलाएं संयुक्त राज्य अमेरिका के कथित सुरक्षित स्थान पर पहुंच जाती हैं।
एक २३ वर्षीय होंडुरन महिला ने अधिकारियों को बताया था कि उसके साथ कोठरी में एक तस्कर ने यौन उत्पीड़न किया था, जिसने उसे और उसकी बहन को दक्षिण टेक्सास के मिशन शहर में घुसने में मदद की थी।
अन्य एक मामले में सैन एंटोनियो में एक शेरिफ के डिप्टी पर एक ग्वाटेमाला की महिला ने आरोप लगाया था कि उसकी बेटी का यौन उत्पीड़न करने और दुर्व्यवहार की रिपोर्ट करने पर उसे निर्वासित करने की धमकी दी गई थी।
एरिजोना में टोहोनो के प्रवासियों के एक समूह का नेतृत्व करनेवाले एक गाइड ने सात दिनों की रेगिस्तानी यात्रा के दौरान दो बार एल साल्वाडोर की एक महिला का बलात्कार किया और विरोध करने पर उसे अकेला छोड़ने की धमकी दी।
पश्चिमी टेक्सास में दो किशोरियों ने बताया कि उनके साथ एक कस्टम ड्यूटी और सीमा सुरक्षा अधिकारी ने यौन उत्पीड़न किया था। उनके मुताबिक अधिकारियों ने उन्हें कपड़े उतारने के लिए मजबूर किया, उनके साथ छेड़छाड़ की, फिर उन्हें चॉकलेट, आलू के चिप्स और एक कंबल देकर रोने से रोकने की कोशिश की।
एक और घटना में एक प्रवासी महिला पर चाकू से हमला किया गया जब उसने दक्षिण टेक्सास के एडिनबर्ग शहर में एक गुप्त घर से भागने की कोशिश की थी‌। महिला ने अधिकारियों को बताया कि टेक्सास में पहुंचते ही एजेंट उसे एडिनबर्ग शहर ले आया था, क्योंकि उसे शहर के बारे में कुछ पता नहीं था इसलिए वह उनके साथ चली आई उन्होंने उसे नौकरी का लालच दिया। फिर उसे उसे घर में बंदी बनाकर रखा गया और चाकू की नोक पर उसके साथ बलात्कार किया जाता रहा।
जिन महिलाओं को बलात्कार का शिकार बनाया गया, उनमें से ऐसे भी कई मामले थे जिनमें महिलाओं को नशीली दवाई देकर या फिर उन्हें डक्ट टेप से बांधकर उन्हें हवस का शिकार बनाया गया। कई बार बलात्कार के बाद उन पर चाकू से हमला किया गया।
विडंबना यह रही कि उन पर हमला प्रवासी तस्करों द्वारा नहीं किया गया था, जो अक्सर अपराधी होते हैं, बल्कि ड्यूटी पर तैनात सीमा गश्ती एजेंटों और सीमा शुल्क अधिकारियों द्वारा किया गया था।
एक्सपर्ट का मानना है कि यौन हमलों की वास्तविक संख्या निश्चित रूप से अभियोजकों और पुलिस द्वारा दर्ज की गई संख्या से कहीं ज्यादा है, क्योंकि अधिकांश हमलों की कभी रिपोर्ट ही नहीं की जाती। ऐसे हमले सीमा पर ही खत्म नहीं होते। महिलाओं ने इमीग्रेशन डिटेंशन सेंटर्स (आव्रजन हिरासत केंद्रों) में उत्पीड़न की रिपोर्ट की है और फेडरल गवर्नमेंट इस तरह के जी एफडीसी (सरकारी वित्तपोषित हिरासत केंद्रों) में अप्रवासी बच्चों के यौन शोषण के बारे में भी शिकायतें मिली हैं।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, प्रवासी महिलाओं और सीमा पर उनके साथ काम करनेवाले लोगों के साथ किए गए साक्षात्कारों से पता चलता है कि बड़ी संख्या में ऐसे मामले हैं, जो या तो रिपोर्ट नहीं किए गए या जिनकी जांच नहीं की गई। इससे पता चलता है कि यौन हिंसा सामूहिक प्रवासी यात्रा का एक अपरिहार्य हिस्सा बन गई है।
(जारी…)

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