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गीता का मकसद है, परमात्मा, आत्मा और सृष्टि विधान के बारे में ज्ञान देना-शंकराचार्य स्वामी नारायणानंद तीर्थ

मुंबई। सभी समस्याओं का समाधान श्रीमद् भागवत में निहित है। गीता की विशेषताओं को उजागर करते हुए शंकराचार्य स्वामी नारायणानंद तीर्थ महाराज ने कहा कि वेदांत का सिद्धांत हमें आत्मा से उल्लसित रहने और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त करने का संदेश देता है। भगवद् गीता हमें पवित्रता, शक्ति, अनुशासन, ईमानदारी, दयालुता और निष्ठा के साथ जीवन जीने के लिए प्रोत्साहित करती है। इस तरह हम अपना उद्देश्य पा सकते हैं और उसे पूरी तरह से जी सकते हैं।

गीता का मकसद है, परमात्मा, आत्मा, और सृष्टि विधान के बारे में ज्ञान देना। गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को धर्म, कर्म, भक्ति, ज्ञान और योग के बारे में बताया है। गीता का मकसद है, जीवन की कठिनाइयों से उबरने और सही मार्ग पर चलने के लिए मार्गदर्शन देना। गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने बताया है कि जीवन का अंतिम लक्ष्य मोक्ष (मुक्ति) प्राप्त करना है। गीता में बताया गया है कि काम विकार हमारा महाशत्रु है और इस पर ज्ञान की तलवार से जीत हासिल करनी चाहिए। गीता में बताया गया है कि कर्म आपके हाथ में है, परिणाम नहीं और गीता में बताया गया है कि क्रोध मनुष्य का सबसे बड़ा दुश्मन है।

महाराज जी ने यह उद्गार डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर मैदान, लोखंडवाला कॉम्प्लेक्स, कांदिवली (पूर्व) में आयोजित श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ के छठे दिन भारी संख्या में उपस्थित भक्तों को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।

कार्यक्रम के आयोजन में श्री हरिश्चंद्र शुक्ला, एडवोकेट जे. डी. सिंह, एडवोकेट ओ. पी. सिंह, राम मणि मिश्र, डॉ. दिनकर दूबे समेत अन्य प्रमुख व्यक्तियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस कार्यक्रम से जुड़ी जानकारी काशी धर्म पीठ के प्रवक्ता प्रो. दयानंद तिवारी ने साझा की।

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