– राणाप्रताप पीजी कॉलेज में बाबू धनंजय सिंह स्मृति व्याख्यानमाला
सामना संवाददाता / सुल्तानपुर
केंद्र सरकार के बजट में पूंजीगत घाटा और राजस्व घाटा दोनों ही बढ़ रहा है। सरकार बाइस प्रतिशत बजट केवल उधारी पर ब्याज देने में व्यय कर रही है। टैक्स के सरलीकरण के नाम पर जटिलताएं बढ़ी हैं। भारत विकसित देश बनेगा इसमें दो राय नहीं, लेकिन असली चुनौती भारत के लोगों को विकसित बनाना है। यह बातें राणा प्रताप स्नातकोत्तर महाविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सुनील त्रिपाठी ने कहीं। वह महाविद्यालय के पुस्तकालय कक्ष में बाबू धनंजय सिंह स्मृति व्याख्यान माला में ‘भारतीय आम बजट २०२५-२६ संभावनाएं और चुनौतिया’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी को बतौर मुख्य वक्ता संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि इस बार का आम बजट गरीब युवा अन्नदाता और नारी पर आधारित है।लगभग पचास लाख करोड़ के इस बजट में शिक्षा पर केवल ढाई प्रतिशत व्यय किया गया है।
अध्यक्षता करते हुए प्राचार्य प्रोफेसर दिनेश कुमार त्रिपाठी ने कहा कि 2028 तक भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश होगा। 2047 तक भारत को विकसित देश बनाने का सपना जरूर पूरा होगा। अर्थशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ. धीरेंद्र कुमार ने कहा कि यह बजट सम्भावनाओं के द्वार तो खोलता है, लेकिन कई चुनौतियां भी पैदा करता है।
संचालन कार्यक्रम संयोजक डॉ. आलोक कुमार पांडेय ने किया। इस अवसर पर मुख्य कुलानुशासक प्रोफेसर शैलेंद्र प्रताप सिंह, आइक्यूएसी निदेशक डॉ. इंद्रमणि कुमार समेत महाविद्यालय के शिक्षक व विद्यार्थी उपस्थित रहे।