–सुरेश एस डुग्गर–
जम्मू, 30 अप्रैल। जम्मू-कश्मीर के रामबन जिले के परनोट गांव में एक प्राकृतिक त्रासदी हुई है, जहां 74 परिवारों को भगवान की दया पर अपना सामान और घर छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा, बिना यह जाने कि निकट भविष्य में उनके साथ क्या होगा। पहाड़ का छह से सात किलोमीटर लंबा हिस्सा लगातार धंसने से उनके घर पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए हैं, जिससे संपत्ति और पारिस्थितिकी को अत्यधिक नुकसान हुआ है। दरअसल वे विकास के नाम पर पहाड़ों के साथ की जाने वाली छेड़छाड़ का परिणाम भुगतने पर मजबूर किए गए हैं।
अधिकारियों के अनुसार, 500 से अधिक सदस्यों वाले 74 परिवार जमीन के धंसने से सीधे प्रभावित हुए हैं और अधिकांश परिवारों को रामबन के मैत्रा क्षेत्र में सामुदायिक हॉल में स्थानांतरित कर दिया गया है और कुछेक को परनोट क्षेत्र में तंबू में सुरक्षित स्थान पर रखा गया है। लेकिन बारिश जारी रहने के कारण ये तंबू क्षतिग्रस्त हो गए और उन लोगों को भी मैत्रा में स्थानांतरित किया जा रहा है।
25 अप्रैल (गुरुवार) को लोगों ने देखा कि उनके घरों में दरारें आ रही हैं और जब उन्होंने पूछताछ शुरू की तो उन्हें पता चला कि पूरा गांव धंस रहा था, जिससे उन्हें सुरक्षित स्थानों की तलाश में जाने के लिए मजबूर होना पड़ा। रामबन जिला मुख्यालय से जिले के संगलदान और गूल इलाकों का एकमात्र सड़क संपर्क टूट गया और दो टावरों के गिरने के साथ ही उपमंडल गूल की बिजली आपूर्ति भी क्षतिग्रस्त हो गई।
स्थानीय लोगों ने तुरंत जिला प्रशासन को सूचित किया और वे अभूतपूर्व घटना से उत्पन्न स्थिति का आकलन करने के लिए घटनास्थल पर पहुंचे। अतिरिक्त उपायुक्त (एडीसी) रामबन, वरुणजीत चरक, जो स्थिति की देखरेख कर रहे हैं और क्षेत्र में डेरा डाले हुए हैं, ने कहा कि पूरे क्षेत्र को नो-गो जोन घोषित कर दिया गया है और किसी को भी क्षेत्र की ओर जाने की अनुमति नहीं दी जा रही है। वे कहते थे कि स्थिति अभूतपूर्व है और किसी के नियंत्रण में नहीं है। स्थिति से निपटने के लिए राष्ट्रीय आपदा राहत बल (एनडीआरएफ) और केंद्र शासित प्रदेश आपदा राहत बल (यूटीडीआरएफ) की टीमें मौके पर हैं, लेकिन चूंकि क्षेत्र लगातार धंस रहा है, इसलिए क्षतिग्रस्त स्थल पर तत्काल कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती है।
परनोट गांव गूल-संगलदान रोड पर डीसी ऑफिस रामबन से लगभग सात किलोमीटर दूर स्थित है और क्षतिग्रस्त हिस्सा लगभग छह से सात किलोमीटर ऊंचा और दो से तीन किलोमीटर चौड़ा है। जमीन धंसने की शुरुआत नीचे से हुई, जो चिनाब नदी से करीब 50 मीटर दूर है। अधिकारियों के मुताबिक इलाका लगातार धंस रहा है और एक शाम अगर धंसाव 10 मीटर दर्ज किया गया तो अगली सुबह यह 20 मीटर हो जाता है। इस क्षेत्र में न्यूनतम चट्टानों के साथ ढीली मिट्टी है और अंदर पानी भी मौजूद है जिसे अधिकारियों ने भी देखा।
नई दिल्ली से आई भूवैज्ञानिक विशेषज्ञों की टीम ने मिट्टी के नमूने लेकर स्थिति का आकलन किया है। एडीसी का कहना था कि टीम द्वारा जल्द ही अपनी रिपोर्ट सौंपने की उम्मीद है और इससे हमें पता चलेगा कि क्षेत्र क्यों धंस रहा है और इसे रोकने के लिए हमें क्या उपाय करने की जरूरत है। भूमि के धंसने के कारण, गूल उप-मंडल तक सड़क संपर्क और बिजली आपूर्ति क्षतिग्रस्त हो गई और तीन दिनों के बाद बिजली आपूर्ति बहाल कर दी गई और हल्के मोटर वाहनों के लिए डिगडोल क्षेत्र से एक सड़क खोल दी गई।
अधिकारी कहते थे कि भारी वाहनों के लिए, हम आवश्यक वस्तुओं को लाने के लिए रियासी जिले के माहौर क्षेत्र से ट्रकों और अन्य भारी वाहनों को अनुमति देने पर विचार कर रहे हैं। वर्तमान में क्षेत्र में आवश्यक वस्तुओं की कोई कमी नहीं है, लेकिन फिर भी आपूर्ति जल्द ही बहाल कर दी जाएगी। लेकिन चूंकि इलाके में कल रात से भारी बारिश हो रही है, प्रशासन ने लोगों को इलाके से दूर रहने के लिए कहा है और किसी को भी मैत्रा से आगे जाने की इजाजत नहीं दी जा रही है।