सामना संवाददाता / मुंबई
विधानसभा चुनाव का बिगुल बजने से पहले ही अजीत पवार गुट में भगदड़ मचनी शुरू हो गई है। अजीत पवार के कई विधायक राकांपा (शरदचंद्र पवार) पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार के संपर्क में हैं। इसके साथ ही दादा गुट के कई पदाधिकारी शरद पवार की पार्टी में शामिल हो गए हैं। अजीत पवार ने अपने गुट में मच रही भगदड़ और विधायकों को अपने साथ बनाए रखने के लिए गत दिवस अपने सरकारी निवास देवगिरी पर विधायकों की बैठक ली। इस बैठक में अजीत पवार ने आश्वास्त किया कि जो भी विधायक घड़ी चुनाव चिह्न पर जीतकर आए हैं, ऐसी एक भी सीट को नहीं छोड़ेंगे, इस तरह से सीटों के बंटवारे को लेकर अजीत पवार ने आंखें दिखाई है।
अजीत पवार ने विधायकों को दिलासा दी कि पिछले चुनाव में चुने गए ५४ विधायकों को और जो लोग पार्टी में शामिल होना चाहते हैं उन्हें अतिरिक्त सीटों का आवंटन हर हाल में किया जाएगा। इसके साथ ही दादा ने विधायकों से यह भी कहा कि सभी विधायक चुनाव के लिए काम करना शुरू कर दें और टिकट को लेकर निश्चिंत रहें।
सीट बंटवारे को लेकर महायुति के घटक दलों के बीच जबरदस्त खींचतान चल रही है और बीजेपी और शिंदे गुट दोनों ही दावा कर रहे हैं कि वे १०० से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। इससे पार्टी के विधायकों में इस बात को लेकर असमंजस की स्थिति थी कि दादा गुट के हिस्से में कितनी सीटें बचेंगी। साथ ही लोकसभा में पार्टी की हार के बाद विधायकों की धड़कन बढ़ गई थी क्योंकि महायुति के घटक दल उन सीटों पर भी दावा कर रहे थे जहां अजीत पवार गुट के मौजूदा विधायक हैं। इस पृष्ठभूमि में बुधवार रात अजीत पवार के सरकारी आवास देवगिरी पर विधायकों की बैठक हुई।
इस बैठक में विधायकों ने अजीत पवार के सामने इस बात को लेकर संदेह जताया कि आगामी विधानसभा चुनाव में उन्हें कितनी सीटें मिलेंगी, क्या मौजूदा सीटें रहेंगी और क्या सीटों की अदला-बदली होगी। विधायकों ने पवार के सामने यह सवाल भी उठाया कि महायुति में दोनों पार्टियों द्वारा मांगी गई सीटों के मद्देनजर उन्हें कितनी सीटें मिलेंगी। इसका जवाब देते हुए पवार ने सभी विधायकों से कहा कि पिछले चुनाव में एनसीपी ने ५४ सीटें जीती थीं।