सामना संवाददाता / मुंबई
एक तरफ घाती सरकार ‘लाडली बहन’ योजना का ढिंढोरा पीट रही है, लेकिन हकीकत में लाडली बहनों की सुरक्षा रामभरोसे नजर आ रही है। प्रदेश में लड़कियों और महिलाओं के लापता होने का दौर जारी है। हर दो महीने में दो हजार से ज्यादा लड़कियां लापता हो जाती हैं। हाई कोर्ट ने पूछा था कि सरकार उनका पता लगाने के लिए क्या कर रही है? इस पर सरकार ने हलफनामा दाखिल किया हालांकि, इसमें दो साल में लापता लड़कियों और महिलाओं के आंकड़े नहीं थे। सरकार ने पुराने सर्वुâलरों, अभियानों का हवाला देकर समय जाया किया है।
लड़कियों और महिलाओं के लापता होने की बढ़ती घटनाओं और उनका पता लगाने में सरकारी एजेंसियों की उदासीनता का मामला हाई कोर्ट के संज्ञान में आया है। इस संबंध में पूर्व सैनिक शाहजी जगताप एडवोकेट मंजिरी परसानिस के माध्यम से जनहित याचिका दायर की गई थी। याचिका पर अगस्त में प्रारंभिक सुनवाई हुई थी, तब मुख्य न्यायाधीश की पीठ ने सरकार को खरी-खोटी सुनाई थी। इसमें लापता लड़कियों और महिलाओं का पता लगाने के लिए मौजूद प्रणाली का विवरण भी मांगा गया था। इसके मुताबिक, तत्कालीन पुलिस महानिदेशक रश्मि शुक्ला ने हाल ही में सरकार की ओर से एक हलफनामा पेश किया है। इसमें २०२२ तक लापता लड़कियों और महिलाओं के आंकड़े दिए गए। हालांकि, इसमें २०२३ और २०२४ के आंकड़े नहीं हैं। हलफनामे में तत्कालीन पुलिस महानिदेशक के परिपत्र दिनांक ५ मई, २०२१, पूर्व परिपत्र दिनांक १० नवंबर, २०१४ और उन परिपत्रों के अनुसार उठाए गए कदमों का उल्लेख किया गया है। इससे पता चला है कि घाती सरकार के दौरान लापता लड़कियों और महिलाओं की तलाश के लिए कोई नए ठोस कदम नहीं उठाए गए।
याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि वर्तमान में एक लाख से अधिक लड़कियां और महिलाएं लापता हैं। शक है कि लापता लड़कियों और महिलाओं का मानव तस्करी के जरिए शोषण किया जा रहा है। हाई कोर्ट ने राय व्यक्त की थी कि ऐसी घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए सभी सरकारी विभागों, पुलिस, रेलवे आदि प्राधिकरणों को मिलकर काम करने की जरूरत है। इस मामले में राज्य महिला आयोग ने भी हलफनामा दाखिल किया है।
एक लाख से ज्यादा लड़कियां, महिलाएं लापता
राज्य में हर दो महीने में ३५ साल तक की दो हजार से ज्यादा लड़कियां लापता हो रही हैं। आयु वर्ग में महिलाओं के गायब होने का प्रतिशत भी अधिक है।