सामना संवाददाता / मुंबई
महायुति की स्थिति कौरवों के समान है। कार्यक्रम का अंत उनके एक-दूसरे से लड़ने के साथ होगा। इसी के साथ ही मलाईदार विभागों के लिए भी संघर्ष था इसलिए शीतकालीन सत्र में विभागों का बंटवारा नहीं किया गया। आखिरी दिन उन्होंने विभाग वितरित किया। ऐसी चर्चा है कि बहुत से लोग इससे भी नाराज हैं। इस तरह का बड़ा दावा कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने करते हुए कहा कि अब इस बात को लेकर लड़ाई हो रही है कि पालकमंत्री के लिए कौन से जिले लिए जाएं।
नागपुर में आयोजित शीतकालीन सत्र के आखिरी दिन रात के समय विभागों का बंटवारा हुआ। इसे लेकर नाना पटोले ने महायुति की आलोचना करते हुए कहा कि अगर अजीत पवार खुद कह रहे हैं कि कुछ लोग मंत्री पद और विभागों के बंटवारे से नाखुश हैं। इससे बड़ा सबूत और क्या चाहिए? उन्होंने बहुत बढ़िया सबूत दिए हैं। महायुति सरकार का जनता से कोई लेना-देना नहीं है। यह स्पष्ट है कि इस सरकार में क्या चल रहा है। पटोले ने कहा कि इससे पता चलता है कि महायुति में कोई समझौता नहीं है।
दाल में है कुछ काला
पटोले ने कहा कि महायुति सरकार जनता के लिए कुछ नहीं कर सकी। यह सरकार जनता से नहीं, बल्कि चुनाव आयोग और केंद्र की संख्या के कारण अस्तित्व में आई है। इसका मतलब है कि दाल में कुछ काला है।