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नवादा में विकास का झुनझुना बजा रहे गुंजन!

जय सिंह 

नवादा दक्षिण बिहार का खूबसूरत शहर है। यह शहर अनेक ऐतिहासिक धरोहरों को समेटे हुए है। १८४५ में नवादा गया जिला सब डिविजन था। यहां विकास कार्य कोई मायने नहीं रखता है। यहां धार्मिक जगह होने के कारण आपको रामायण और महाभारत के समय की धार्मिक कथाओं को सुनते और सुनाते लोग मिल जाएंगे। चंदन सिंह यहां से सांसद हैं। यहां १९ अप्रैल को चुनाव हो चुका है। भोजपुरी फिल्मों के सिंगर गुंजन सिंह के भाग्य का मत भी डिब्बे में बंद है, जिसका पिटारा ४ जून को खुलेगा। शुरुआत में भोजपुरी सिंगर गुंजन सिंह ने नवादा से सांसद बनने के लिए काफी जोर लगाया था, लेकिन चुनाव के बीच वह काफी ढीले दिखाई दिए। २०१४ में यहां से कुल १६ उमीदवार थे, जबकि २०१९ में यहां से कुल १३ उम्मीदवारों ने नामांकन किया था। विकास कार्य का कोई महत्व न हो और विकास कार्य को अनदेखा कर जातीय समीकरण से वोट डाला जाए तो समझ लो हम नवादा लोकसभा की बात कर रहे है।

झारखंड की सीमा से लगा नवादा कई सालों से विकास को तरस रहा है। बरबीघा, रजौली, हिसुवा, नवादा, गोविंदपुर, वारसली गंज विधानसभा के मतदाता को लुभाने के लिए अपने स्टारडम को लेकर भोजपुरी गायक और नायक गुंजन सिंह ने नवादा लोकसभा के निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में पर्चा भरा था। बता दें कि चुम्मा लेबो होटवा पे एल्बम लोगों ने इतना पसंद किया कि फिर उन्होंने पार्ट २ भी बना दिया। गुंजन सिंह को मघई स्टार भी कहा जाता है। निर्दलीय चुनाव लड़ रहे गुंजन सिंह नवादा में बाहर के लोगों को सांसद बनाने का विरोध करते हुए मतदान करने की अपील कर रहे थे। भाजपा का खुलकर विरोध करने वाले गुंजन सिंह का कहना है कि सांसद बनकर यहां के लोगों से झोला उठवाते हैं। पहले भाजपा के खिलाफ आंदोलन छेड़कर फिर खुद कमल खिलाकर भाजपा में शामिल होने वाले मनीष कश्यप ने भी भोजपुरी स्टार गुंजन सिंह का समर्थन किया था, बाद में मैदान छोड़कर भाग गए।
खुरी नदी के उत्तर में जो आबादी बसी है, उसे प्राचीन काल में ‘नव आबाद’ कहा गया। यही बाद में अपभ्रंश के रूप में नवादा के रूप में जाना जाने लगा। नवादा को एलियट मार्वेâट बाजार के नाम से भी जाना जाता था। २६ जनवरी १९७३ को मगध प्रमंडल के गया जिले से अलग होकर नवादा एक स्वतंत्र जिला बना। खुरी नदी और एनएच- ३१ भी नवादा में है। इस लोकसभा का चुनावी गणित हर बार अलग ही रहता है। यहां विकास की कोई बात ही नहीं करता है। यहां की जनता का भी आरोप है कि यहां से केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह भी सांसद रहे हैं, लेकिन विकास के नाम पर भाजपा की केंद्र सरकार का जुमला ही मिला। भोजपुरी स्टार गुंजन सिंह यहां की जनता में विकास का झुनझुना बजा रहे थे। वो ये भूल गए कि यहां यादव जाति और भूमिहार ही निर्णायक भूमिका में रहते हैं इसीलिए कहा जाता है कि यहां विकास का नहीं, जातीय मुद्दा प्रभावित होता है। दोनों जाति के लोग यहां ३०-३० प्रतिशत की संख्या में हैं।

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