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राज्य का खजाना है खाली… फिर भी अस्पतालों की महंगी सफाई करेगी मशीन!.. ‘ईडी’ सरकार के भ्रष्टाचार का एक और नमूना

-मानव बल का सालाना खर्च `७७ करोड़

-मैकेनिकल सफाई का खर्च `६३८ करोड़

सामना संवाददाता / मुंबई

घाती सरकार में रोज नए-नए घोटालों का खुलासा हो रहा है। इस क्रम में ‘ईडी’ सरकार के भ्रष्टाचार का एक और नमूना सामने आया है। राज्य का खजाना खाली है फिर भी स्वास्थ्य विभाग के अस्पतालों में महंगी सफाई करवाने के फैसले ने नया विवाद खड़ा कर दिया है। बताया गया है कि सालाना ६३८, जबकि पांच वर्षों के लिए ३,१९० करोड़ रुपयों की मैकेनिकल सफाई करने का निर्णय लिया गया है। अब तक मानव बल की मदद से इस सफाई पर केवल ७७ करोड़ रुपए वार्षिक खर्च हो रहे थे। दूसरी तरफ चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा अपने अस्पतालों के लिए निकाले गए टेंडर में इस कार्य पर ११३ करोड़ रुपए खर्च आ रहा है। ऐसे में कहा जा रहा है कि जब सरकारी खजाना खाली है तो इसके लिए सरकार फंड कहां से लाएगी।
उल्लेखनीय है कि राज्य में स्वास्थ्य विभाग के अधिकांश अस्पताल पुरानी इमारतों में हैं। इनमें से कई अस्पतालों में लगी टाइल्स ढीली हैं या समतल नहीं हैं। मरीजों की बढ़ती संख्या के अनुपात में पर्याप्त शौचालय तक नहीं हैं। जो हैं, उनकी हालत खराब है। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टरों का कहना है कि पुरानी इमारतों में मैकेनिकल सफाई में काफी दिक्कतें आ सकती हैं। स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टर ये भी सवाल उठा रहे हैं कि मैकेनिकल सफाई के नाम पर ६३८ करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं, जिसे मानव बल की मदद से १००-१५० करोड़ रुपए में अच्छी तरह से किया जा सकता है। इस मामले में स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव मिलिंद म्हैसकर से संपर्क किया गया, लेकिन हो नहीं पाया।
खजाने की है डकैती
आज स्वास्थ्य विभाग के अस्पतालों में पर्याप्त डॉक्टर और नर्स नहीं हैं। विपक्षी दलों का सवाल है कि जब चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी ही नहीं हैं और सफाई के लिए पर्याप्त मानव बल उपलब्ध नहीं कराया गया है, ऐसे में स्वास्थ्य मंत्री तानाजी सावंत ने मैकेनिकल क्लिनिंग के लिए ३,१९० करोड़ रुपए का टेंडर क्यों जारी किया? विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजय वडेट्टीवार का आरोप है कि यह सीधे तौर पर सरकारी खजाने की डकैती है। वडेट्टीवार ने उक्त टेंडर को रद्द करने सहित इस मामले की उच्चस्तरीय जांच कराने की मांग की है।

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