मुख्यपृष्ठनए समाचारमहापुरुषों की प्रतिमाओं का हो रहा अनादर

महापुरुषों की प्रतिमाओं का हो रहा अनादर

सामना संवाददाता / विदिशा

महात्मा गांधी बचपन से ही स्वच्छता के प्रति जागरूक थे। उन्होंने किसी भी सभ्य और विकसित मानव समाज के लिए स्वच्छता के उच्च मानदंड की आवश्यकता को समझा। उनके लिए स्वच्छता एक बहुत महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दा था। उन्होंने स्कूली और उच्च शिक्षा के पाठयक्रमों में स्वच्छता को तुरंत शामिल करने की आवश्यकता पर जोर दिया था। 20 मार्च 1916 को गुरुकुल कांगड़ी में दिए गए भाषण में उन्होंने कहा था-गुरुकुल के बच्चों के लिए स्वच्छता और सफाई के नियमों के ज्ञान के साथ ही उनका पालन करना भी प्रशिक्षण का एक अभिन्न हिस्सा होना चाहिए।
वैसे तो साफ-सफाई का पाठ हम सबको अपने अभिभावक ही सिखा देते हैं, लेकिन बहुत अफसोस की बात है कि मध्य प्रदेश के विदिशा के संबंधित विभाग के अधिकारी इससे एकदम विरक्त दिखाई पड़ रहे हैं। दरअसल में शहर में स्वच्छता की रफ्तार पहले से ही रुकी है, वहीं इस कार्य में अब महापुरुषों की प्रतिमाओं को भी अनदेखा किया जा रहा है। इससे शहर में जगह-जगह लाखों की लागत से स्थापित प्रतिमाएं इन दिनों धूल धूसर बनी हुई हैं और प्रतिमाओं को इस हाल में देख लोगों में नाराजी बढ़ रही है।
मालूम हो कि स्वच्छता सर्वेक्षण को लेकर पूर्व में शहर में बेहतर माहौल बनाया जाता रहा है। सफाई कार्य में तेजी और विभिन्न गतिविधियां होती आई हैं। यहां तक कि स्वच्छता एवं सौदर्यीकरण कार्य में महापुरुषों के प्रतिमा स्थल भी उपेक्षित बने हुए हैं। प्रतिमा धूल-धूसर हो रही हैं तो वहीं प्रतिमा स्थल भी साफ-सुथरे नहीं रह पा रहे हैं। यहां जिला अस्पताल तिराहा स्थित वीर शिवाजी प्रतिमा की हालत स्वच्छता को लेकर चिंताजनक बनी हुई है। प्रतिमा पर काफी धूल जमा हो चुकी है। इसी तरह एसएटीआई तिराहा स्थित पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम की प्रतिमा पर भी धूल चढ़ी हुई है। वहीं बंटीनगर चौराहा स्थित वीरांगना अवंतीबाई की प्रतिमा स्थापित है।
नगरपालिका कार्यालय के पास तिराहे पर पं. रविशंकर शुक्ल प्रतिमा, नीमताल मिर्जापुर बाईपास पर स्थित चंद्रशेखर आजाद की प्रतिमा चौराहे पर राष्ट्रपति महात्मा गांधी। इसी तरह शहर में विभिन्न तिराहे चौराहों पर महापुरुषों भव्य प्रतिमाएं हैं, लेकिन प्रतिमाओं का रख-रखाव उनकी गरिमा के अनुरूप नहीं हो पा रहा। प्रतिमा स्थलों का सौंदर्यीकरण तो दूर प्रतिमा स्थलों का रख-रखाव तक ठीक से नहीं हो पा रहा है।

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