एम. एम. सिंह
महाराष्ट्र का नाम अब छत्तीसगढ़, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और ओडिशा जैसे अन्य राज्यों के साथ जुड़ गया है। जिन राज्यों ने पहले ही गैरकानूनी गतिविधियों की रोकथाम के लिए अपनी-अपनी सरकारों के लिए सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम लागू किए हैं और ४८ ऐसे गैरकानूनी संगठनों पर प्रतिबंध लगा दिया है।
हालांकि, इस नए विधेयक को लेकर एक राजनीतिक धड़े का मानना है कि भाजपा के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार ने नागरिकों के विरोध करने के लोकतांत्रिक अधिकार को `कुचल दिया’ है। वहीं विपक्ष ने भी इस विधेयक को ‘कठोर’ करार देते हुए दावा किया है कि इसके जरिए सत्तारूढ़ सरकार राज्य विधानसभा चुनावों से पहले विपक्ष को दबाने के लिए ‘शहरी नक्सली हौवा’ खड़ा कर रही है।
इस अधिनियम के तहत, `गैरकानूनी गतिविधि’ को ऐसी गतिविधियों के रूप में परिभाषित किया जाएगा, जो सार्वजनिक व्यवस्था, शांति और सौहार्द के लिए खतरा पैदा करती हैं। ऐसी गतिविधियां जो सार्वजनिक व्यवस्था, कानून और प्रशासन के रख-रखाव में हस्तक्षेप करती हैं और किसी भी लोकसेवक पर आपराधिक बल दिखाने या हिंसा और बर्बरता के कृत्यों का प्रचार करने, स्थापित कानून और उसकी संस्थाओं की अवज्ञा को प्रोत्साहित करने या प्रचार करने और गैरकानूनी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए धन या सामान इकट्ठा करने के लिए बनाई गई हैं।
अगर यह विधेयक अधिनियम बन जाता है तो जिला मजिस्ट्रेट या पुलिस आयुक्त जैसे अधिकारियों को (गैरकानूनी) गतिविधियों के लिए उपयोग किए जाने वाले किसी भी स्थान को अधिसूचित करने और `कब्जे में लेने’ की अनुमति होगी, जिसमें धन, प्रतिभूतियां और अन्य परिसंपत्तियों सहित चल संपत्ति शामिल हो सकती है।
कोई भी गैरकानूनी संगठन का सदस्य है या किसी ऐसे संगठन की बैठकों या गतिविधियों में भाग लेता है या किसी ऐसे संगठन के उद्देश्य के लिए योगदान देता है या कोई योगदान प्राप्त करता है या मांगता है उसे तीन साल तक ़के कारावास और ३ लाख रुपए तक के जुर्माने से दंडित किया जाएगा। जो लोग किसी भी तरह से गैरकानूनी संगठन के सदस्य नहीं हैं, लेकिन जो `ऐसे संगठन के लिए कोई योगदान या सहायता प्राप्त करता है या मांगता है या ऐसे संगठन के किसी सदस्य को शरण देता है’ उन्हें दो साल तक की वैâद की सजा काटनी होगी और २ लाख रुपए तक का जुर्माना देना होगा।
विधेयक के मुताबिक, `जहां सरकार ऐसी जांच के बाद संतुष्ट हो जाती है, जैसा कि वह उचित समझे कि किसी धन, प्रतिभूति या अन्य परिसंपत्तियों का उपयोग किसी गैरकानूनी संगठन के उद्देश्य के लिए किया जा रहा है या किया जाना है, तो सरकार ऐसे धन, प्रतिभूतियों या अन्य परिसंपत्तियों को सरकार के लिए जब्त घोषित कर सकती है।’
अगर यह पारित हो जाता है तो इस अधिनियम के तहत सभी अपराध संज्ञेय और गैर-जमानती होंगे और इनकी जांच उप-निरीक्षक के पद से नीचे के अधिकारी द्वारा नहीं की जाएगी।