रूह की प्यास ठंडी नहीं
अभी-अभी तक और भी है कुछ वसूल
उसे देखने के बाद
उससे मिलने के बाद…
शायद कुछ कम हो
कुछ उम्मीद आज भी सताए जा रही है
हर एक घूंट दर्द की पिए जा रही है
बस यही एक सोच,
वो कितने अच्छे थे
वो कितने सच्चे थे
जो कल मिले थे
मेरी सुने थे, अपनी कहे थे
उसके खयालों में
दो चार पल गुजर गए
हर आईना से पूछा,
क्या वो फिर मिलेंगे
क्या वो फिर कुछ कहेंगे
मेरी सुनेंगे, अपनी कहेंगे
रूह की प्यास ठंडी नहीं
अभी अभी तक और भी है कुछ वसूल।
– मनोज कुमार
गोण्डा, उत्तर प्रदेश