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अमेठी की जनता के मन की बात… ‘एहि बार जनता गलती सुधारि लिहिस’

-प्रियंका गांधी के कुशल रणनीति की हो रही तारीफ

सामना संवाददाता / अमेठी 

हाईप्रोफाइल अमेठी सीट एक बार फिर कांग्रेस के कब्जे में आ चुकी है। साल २०१९ में यहां से स्मृति ईरानी ने जितने मतों से राहुल को हराया था, उसके करीब तीन गुना से वह हार गई हैं। इस जीत में कांग्रेस के किशोरी लाल शर्मा का चेहरा नहीं, बल्कि प्रियंका गांधी वाड्रा की रणनीति अहम रही, जिसकी चर्चा चारों तरफ हो रही है। इसके अलावा क्षेत्र की जनता अपने मन की बात बताते हुए कह रही है कि इस बार जनता ने अपनी गलती सुधार ली है। फिलहाल, यहां इस बात को लेकर चर्चा है कि राहुल गांधी जैसे बड़े नेता को हराने वाली स्मृति ईरानी को गांधी परिवार के कस्टोडियन किशोरी लाल ने वैâसे पराजित कर दिया?
अंतिम समय तक भाजपा को उलझाए रखा
भले ही कांग्रेस ने नामांकन के अंतिम दिन किशोरी लाल शर्मा को प्रत्याशी बनाया हो, लेकिन पार्टी ने ठोस रणनीति के तहत काम किया। अमेठी के मतदाताओं के मन में भाजपा के प्रति नाराजगी को हथियार बनाया। भाजपा के ऐसे नेताओं पर ध्यान रखा जो उपेक्षित थे। सबसे बड़ी रणनीति यह रही कि प्रत्याशी को लेकर अंतिम समय तक भाजपा को उलझाए रखा।
भाजपा ने की कार्यकर्ताओं की उपेक्षा
राजनीतिज्ञ विशेषज्ञ कहते हैं कि यह बात तो सही है कि अमेठी की पहचान गांधी परिवार से होने के पैâक्टर ने काम किया, लेकिन कई और कारण हैं जिन्होंने कांग्रेस की जीत को आसान किया, जैसे धर्म का मुद्दा नहीं चल सका। जातीय मतों का ध्रुवीकरण रोकने में भाजपा सफल नहीं हो सकी। संविधान हो या मंगलसूत्र, इन मुद्दों पर भाजपा सफाई देती नजर आई।

कांग्रेस ने जनता को भावनात्मक तौर पर जोड़ा
राहुल हों या प्रियंका गांधी, प्रचार के दौरान दोनों ने लोगों को भावनात्मक तौर पर जोड़ा। बचपन की यादों को साझा किया। पिता राजीव गांधी की शहादत को याद किया। केएल शर्मा ने खुद को गांधी परिवार का सिपाही बताकर कांग्रेसियों को एकजुट कर लिया। योजना के तहत महज १७ दिन में ही केएल शर्मा ने पूरी बाजी पलट दी। हर जगह बस वह एक बात कहते नजर आए कि यह चुनाव हम नहीं, अमेठी की जनता लड़ रही है।

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