राजन पारकर / मुंबई
लाडली बहन योजना के कारण सरकार की दूसरी योजनाओं पर पानी फिर गया है। किसानों की कर्ज मुक्ति योजना के लिए पैसा ही नहीं है। ‘लाडली’ के चक्कर में सरकार का खजाना खाली है। ऐसे में कहा जा रहा है कि ‘लाडली’ की आंधी में किसान बेहाल हो चुके हैं।
बता दें कि विधानसभा चुनाव के दौरान ‘महायुति’ ने वादा किया था कि ‘लाडली’ बहन योजना अगले पांच साल तक जारी रहेगी। दिसंबर माह की किश्त भी जमा हो चुकी है, लेकिन साथ ही राज्य की वित्तीय स्थिति नाजुक होने का खुलासा हुआ है। वैâग ने राज्य सरकार की आर्थिक नीतियों की जांच की है। सरकारी खजाने पर आर्थिक बोझ बढ़ गया है। राजकोषीय घाटा २ लाख करोड़ तक पहुंच गया है।
आमदनी और खर्च में तालमेल नहीं
विधानसभा चुनाव से पहले राज्य के वित्त विभाग ने राज्य की वित्तीय स्थिति पर नजर रखी थी। विभाग ने उस समय लाडली बहन योजना की वजह से राज्य सरकार की तिजोरी पर संकट गहराने की हालात वित्त विभाग ने व्यक्त की थी, लेकिन चुनावी लाभ के लिए वित्त विभाग की रिपोर्ट को सरकार ने नजरअंदाज कर दिया था। अब कैग रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य सरकार की आमदनी और खर्च में कोई तालमेल नहीं है।
दबाव में राजकोष पर
महायुति ने विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान किसानों को कर्जमाफी देने का वादा किया था। कृषि मंत्री माणिकराव कोकाटे ने स्वीकार किया कि लाडली बहन योजना के कारण राज्य के खजाने पर दबाव पड़ा है। कोकाटे ने कहा कि राज्य की वित्तीय स्थिति में सुधार होने पर राज्य सरकार ४-६ महीने बाद किसानों की कर्जमाफी के बारे में फैसला लेगी। ऐसे में अब किसानों का कर्ज माफ करने का फैसला लटक गया है।
मंत्री ने की अपील
सरकार के मंत्री इस योजना की पात्रता को बदले जाने का बयान दे रहे हैं। मंत्री माणिकराव कोकाटे ने तो लाडली बहन योजना का लाभ नहीं लेने की अपील की है। उन्होंने कहा कि यह बहनों को तय करना चाहिए कि वे किसान महासम्मान या लाडली बहन में से किस योजना का लाभ लेना पसंद करेंगी।