सामना संवाददाता / मुंबई
विधानसभा चुनाव से पहले लाडली बहन योजना लाई गई। चुनाव हुए और उसमें जनता ने वोट भी डाले। अस्तित्व में आई महायुति सरकार की ओर से अब नियम व शर्तों की वैंâची चलाने का काम चल रहा है। इससे बड़ी संख्या में बहनें अपात्र हो जाएंगी। दूसरी तरफ यह सरकार किसानों के मुंह से निवाला भी छीनने का काम कर रही है। किसानों की कर्जमाफी के सार्वजनिक तौर पर आश्वासन देनेवाली यह सरकार अब पीछे हटती हुई दिखाई दे रही है, क्योंकि उसका खजाना खैरात बांटने की वजह से खाली हो चुका है। सरकार का कहना है कि इससे सरकारी खजाने पर बोझ बढ़ेगा। इस पर कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार ने महायुति सरकार पर जमकर निशाना साधा है।
विजय वडेट्टीवार ने कल सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपने आधिकारिक एकाउंट पर एक पोस्ट शेयर किया है। इस पोस्ट में उन्होंने कहा है कि किसान कर्जमाफी के वादे की वजह से महायुति सरकार में शामिल घटक दल मतभेदों के जाल में फंस गए हैं। उन्होंने कहा कि चुनाव पूर्व जनता से `घोषणापत्र’ के माध्यम से किए गए सभी वादे केवल रेवड़ियां थीं। इसलिए अब वित्त मंत्री किसान कर्जमाफी पर कह रहे हैं कि इससे राजकोष पर बोझ पड़ सकता है। पहले वादा करना और फिर फंड का बहाना बनाकर उसे पूरा न करना क्या यह जनता के साथ धोखा नहीं है? इस पर सवाल उठाते हुए वडेट्टीवार ने कहा कि यह सरकार किसानों की मेहनत और विश्वास का सम्मान नहीं करती।
किस्त देने में असमर्थ सरकार
नागपुर में पत्रकारों से बात करते हुए वडेट्टीवार ने कहा कि इस सरकार ने चुनाव के दौरान लाडली बहनों को २,१०० रुपए देने की घोषणा की थी। अब इसकी किस्त देने में असमर्थ है। इसके विपरीत सरकार इस योजना में महिलाओं की संख्या कम कर रही है।
अपने वादों से मुकर रहे मंत्री
किसान कर्जमाफी पर भी महायुति सरकार के मंत्री मुकरते हुए कह रहे हैं कि हमने ऐसा कोई वादा नहीं किया था। कुल मिलाकर मलाई खाने के लिए तीनों पार्टियां एक साथ आर्इं, लेकिन जब किसानों का कर्ज माफ करने का वक्त आया तो उन्हें कारण बताकर जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहे हैं। वडेवट्टीवार ने कहा कि सरकार की यह नीति सही नहीं है। एक सरकार के रूप में यह एक सामूहिक जिम्मेदारी है। इसलिए अब सरकार को भागना नहीं चाहिए, बेईमान नहीं होना चाहिए।